आज १८/१२/२००८ को मैंने ये ब्लॉग लोड किया है। आशा करता हूँ की कुझे इस की जरूरत नही पड़ेगी।
गुरुवार, 18 दिसंबर 2008
बुधवार, 17 दिसंबर 2008
इस ब्लॉग में मेरी अन्तिम पोस्ट
मैं इन्टरनेट, ब्लॉग और संवाद के सभी नवीन माध्यमों का पुरजोर समर्थक रहा हूँ, किंतु यह ब्लॉग जिस राह पर चल पड़ा है, उससे असहमति जताता हूँ एवं ब्लॉग ऑनर महोदय से अनुरोध करता हूँ कि मेरा नाम ब्लॉग लेखकों की सूची से हटा लें. धन्यवाद
- अनिल वर्मा, प्रांतीय महामंत्री, बिहार
सभी मंच के सिपाही हैं - शम्भु चौधरी
दोस्तों पुनः आपके सामने कुछ दिनों बाद आ रहा हूँ, आपको पता ही होगा कि "समाज विकास" पत्रिका का सम्पादन और प्रकाशन का कार्य मेरे ऊपर ही है, जिसके कारण हर माह मुझे वक्त निकालना ही पड़ेगा। इस बीच जब भी खाली रहता हूँ तो आप लोगों को याद करता रहता हूँ। पिछले सप्ताह सुबह जब मैं अपने कपड़े धो रहा था तो मेरे मन में यह विचार आया कि पानी का प्रयोग हम किस-किस प्रकार से करते हैं। फिर भी पानी के प्रति हमारे मन में जरा ही सम्मान नहीं है। हम वक्त वे वक्त पानी को बहाते रहते हैं। सड़क पर नगरपालिका की टूंटी बहती रहती है या टूटी हुई रहती है। कहीं सुखा तो कहीं पानी बहता रहता है। कल आपसे इस बात को आगे बढ़ाते हुए व्यक्तित्व विकास पर इसके प्रभाव पर भी हम चर्चा करेगें। साथ ही यह भी चर्चा करेगें कि आपकी फोटो कैसे आपके जीवन पर प्रभाव डालती है।
मैं यह मानता हूँ कि आप मेरी बातों को जरूर ही पढ़ते होंगे। पर मुझे भी तो पता चले कि आप पढ़ रहे हैं कि नहीं।
चुनाव
चुनाव संबंधी एक प्रश्न मैंने यहाँ पर उठाया था, इस विषय पर मेरी दो बार श्री जितेन्द्र जी से फोन पर बातें भी हुई , उन्होंने प्रश्न के जबाब से ज्यादा अपने प्रभाव की बातें मुझे समझाते रहे। यहाँ यह बात भी स्पष्ट कर देना चाहता हूँ कि मेरे भाई जी (श्री प्रमोद्ध सराफ) से अच्छे संबंध होने का अर्थ यह नहीं कि मैं उनकी हर बातों का समर्थक हूँ। हाँ ! उनके प्रति मेरे मन में जो सम्मान है, कि वे जो बात कह देगें वही मेरे लिये ब्रह्मवाक्य हो जायेगा, फिर भी मेरे विचार हमेशा से मंच के हित को देखते हुए ही देता रहा हूँ और जब तक मेरी बात आपलोगों तक जाती रहेगी, देता रहूँगा। कोई इस बात से नाराज रहे या खुश। किसी एक को खुश कर, पुरे घर में आग नहीं लगायी जा सकती।
मेरी नजर में जितेन्द्र जी के प्रान्तीय कार्यकाल में लिये गये कुछ निर्णय किसी भी प्रकार से सही नहीं थे। जिसको लेकर मैंने इस ब्लॉग पर प्रश्न उठाया था कि उनको इस ब्लॉग पर अपनी बात रखने का पूरा अवसर दिया जाया। ताकी मेरी कोई भूल हो जिसे मैं ठीक से समझ नहीं पाया हूँ तो उनको मेरे माध्यम से अपनी बात का स्पष्टीकरण करने का बेहतर मौका मिला था, कि वे गलत बात के प्रचार का मुँह तोड़ जबाब दे पाते। पर शायद इनके समर्थकों ने यह सोच लिया था कि जबाब देना जरूरी नहीं क्योंकि मंच के वोट उनके झोलों से निकलते हैं। हर जगह मंच के सदस्यों ने उनसे यह प्रश्न किया, जबाब नदारत था। मुझे फोन पर जबाब मिला कि जो भी निर्णय लिये गये थे "प्रान्तीय कार्यकारिणी" से पारित करवा कर लिये गये थे। एक बात आपसे करता हूँ क्या आगे वे जब वे राष्ट्रीय कार्यकारिणी से कोई- मसलन यह निर्णय पारित करवा लें कि मंच में बाबा रामदेव की दवा भी बेची जा सकती है, बाबा रामदेव का केम्प लागायें और उनकी दवा बेचने पर मंच को 20% कमीशन प्राप्त होगी जिससे मंच जनसेवा का कार्य करेगा। या सरकारी चन्दा प्राप्त करने के लिये मंच खर्च दिखा सकता है। तो आप इस बात का समर्थन करेगें । यदि आपका जबाब 'हाँ' है तो जितेन्द्र जी को जरूर अपना समर्थन दें। अन्यथा समर्थन देने से पहले यह जरूर सोच लें कि हम किसी निर्जीव चिन्ह पर अपना छाप नहीं देने जा रहें कि जो हमारे नेतागण कह दिये बस उसे ही छाप दे देना है। यह भारतीय लोकतंत्र का चुनाव नहीं हो रहा कि हम हाथ,हथोड़ा, बैल, उल्लू, कहने का अर्थ है कि वैसे किसी चिन्ह को वोट नहीं देने जा रहे जिसकी खुद की कोई सोच है ही नहीं।
मुझे लिखते हुए बड़ा कष्ट हो रहा कि मंच के कुछ जिम्मेदार लोग मंच को खुद के स्वार्थ पूर्ति का मंच बना लिया है। जिस स्तर का प्रचार मंच में शुरू हुआ है, उसको देखकर यही लिखा जा सकता है कि मंच को आपलोग मिलकर बचा लें। छीन लें उन नेताओं की दुकानदारी जो मंच को बपौती समझते हैं। जिनके पास विचार नाम की जरा भी सोच होती तो वे इस तरह की बचकानी हरकतों का कभी समर्थक नहीं होते। आपलोग जरूर मतदान करें। अच्छे वातावरण में मतदान करें। हर पक्ष को मेरा समर्थन है । सभी मंच के सिपाही हैं। बस आंकलन करते समय इन बातों को सोचना ही होगा कि मंच को हम किस दिशा में ले जाना चाहते हैं।
- शम्भु चौधरी, कोलकाता फोन: - 98310 82737
सभी मंच के सिपाही हैं - शम्भु चौधरी
दोस्तों पुनः आपके सामने कुछ दिनों बाद आ रहा हूँ, आपको पता ही होगा कि "समाज विकास" पत्रिका का सम्पादन और प्रकाशन का कार्य मेरे ऊपर ही है, जिसके कारण हर माह मुझे वक्त निकालना ही पड़ेगा। इस बीच जब भी खाली रहता हूँ तो आप लोगों को याद करता रहता हूँ। पिछले सप्ताह सुबह जब मैं अपने कपड़े धो रहा था तो मेरे मन में यह विचार आया कि पानी का प्रयोग हम किस-किस प्रकार से करते हैं। फिर भी पानी के प्रति हमारे मन में जरा ही सम्मान नहीं है। हम वक्त वे वक्त पानी को बहाते रहते हैं। सड़क पर नगरपालिका की टूंटी बहती रहती है या टूटी हुई रहती है। कहीं सुखा तो कहीं पानी बहता रहता है। कल आपसे इस बात को आगे बढ़ाते हुए व्यक्तित्व विकास पर इसके प्रभाव पर भी हम चर्चा करेगें। साथ ही यह भी चर्चा करेगें कि आपकी फोटो कैसे आपके जीवन पर प्रभाव डालती है।
मैं यह मानता हूँ कि आप मेरी बातों को जरूर ही पढ़ते होंगे। पर मुझे भी तो पता चले कि आप पढ़ रहे हैं कि नहीं।
चुनाव
चुनाव संबंधी एक प्रश्न मैंने यहाँ पर उठाया था, इस विषय पर मेरी दो बार श्री जितेन्द्र जी से फोन पर बातें भी हुई , उन्होंने प्रश्न के जबाब से ज्यादा अपने प्रभाव की बातें मुझे समझाते रहे। यहाँ यह बात भी स्पष्ट कर देना चाहता हूँ कि मेरे भाई जी (श्री प्रमोद्ध सराफ) से अच्छे संबंध होने का अर्थ यह नहीं कि मैं उनकी हर बातों का समर्थक हूँ। हाँ ! उनके प्रति मेरे मन में जो सम्मान है, कि वे जो बात कह देगें वही मेरे लिये ब्रह्मवाक्य हो जायेगा, फिर भी मेरे विचार हमेशा से मंच के हित को देखते हुए ही देता रहा हूँ और जब तक मेरी बात आपलोगों तक जाती रहेगी, देता रहूँगा। कोई इस बात से नाराज रहे या खुश। किसी एक को खुश कर, पुरे घर में आग नहीं लगायी जा सकती।
मेरी नजर में जितेन्द्र जी के प्रान्तीय कार्यकाल में लिये गये कुछ निर्णय किसी भी प्रकार से सही नहीं थे। जिसको लेकर मैंने इस ब्लॉग पर प्रश्न उठाया था कि उनको इस ब्लॉग पर अपनी बात रखने का पूरा अवसर दिया जाया। ताकी मेरी कोई भूल हो जिसे मैं ठीक से समझ नहीं पाया हूँ तो उनको मेरे माध्यम से अपनी बात का स्पष्टीकरण करने का बेहतर मौका मिला था, कि वे गलत बात के प्रचार का मुँह तोड़ जबाब दे पाते। पर शायद इनके समर्थकों ने यह सोच लिया था कि जबाब देना जरूरी नहीं क्योंकि मंच के वोट उनके झोलों से निकलते हैं। हर जगह मंच के सदस्यों ने उनसे यह प्रश्न किया, जबाब नदारत था। मुझे फोन पर जबाब मिला कि जो भी निर्णय लिये गये थे "प्रान्तीय कार्यकारिणी" से पारित करवा कर लिये गये थे। एक बात आपसे करता हूँ क्या आगे वे जब वे राष्ट्रीय कार्यकारिणी से कोई- मसलन यह निर्णय पारित करवा लें कि मंच में बाबा रामदेव की दवा भी बेची जा सकती है, बाबा रामदेव का केम्प लागायें और उनकी दवा बेचने पर मंच को 20% कमीशन प्राप्त होगी जिससे मंच जनसेवा का कार्य करेगा। या सरकारी चन्दा प्राप्त करने के लिये मंच खर्च दिखा सकता है। तो आप इस बात का समर्थन करेगें । यदि आपका जबाब 'हाँ' है तो जितेन्द्र जी को जरूर अपना समर्थन दें। अन्यथा समर्थन देने से पहले यह जरूर सोच लें कि हम किसी निर्जीव चिन्ह पर अपना छाप नहीं देने जा रहें कि जो हमारे नेतागण कह दिये बस उसे ही छाप दे देना है। यह भारतीय लोकतंत्र का चुनाव नहीं हो रहा कि हम हाथ,हथोड़ा, बैल, उल्लू, कहने का अर्थ है कि वैसे किसी चिन्ह को वोट नहीं देने जा रहे जिसकी खुद की कोई सोच है ही नहीं।
मुझे लिखते हुए बड़ा कष्ट हो रहा कि मंच के कुछ जिम्मेदार लोग मंच को खुद के स्वार्थ पूर्ति का मंच बना लिया है। जिस स्तर का प्रचार मंच में शुरू हुआ है, उसको देखकर यही लिखा जा सकता है कि मंच को आपलोग मिलकर बचा लें। छीन लें उन नेताओं की दुकानदारी जो मंच को बपौती समझते हैं। जिनके पास विचार नाम की जरा भी सोच होती तो वे इस तरह की बचकानी हरकतों का कभी समर्थक नहीं होते। आपलोग जरूर मतदान करें। अच्छे वातावरण में मतदान करें। हर पक्ष को मेरा समर्थन है । सभी मंच के सिपाही हैं। बस आंकलन करते समय इन बातों को सोचना ही होगा कि मंच को हम किस दिशा में ले जाना चाहते हैं।
- शम्भु चौधरी, कोलकाता फोन: - 98310 82737
श्री ओमप्रकाश अगरवाला
अपनी गृह शाखा में इन्होने उपाध्यक्ष पद को भी सुशोभित किया. प्रान्तिय स्तर पर जन-संपर्क अधिकारी, प्रांतीय महामंत्री, कार्यकारिणी समिति सदस्य, प्रांतीय उपाध्यक्ष (मुख्यालय) आदि पदों पर भी इन्होने मंच सेवा का अनुभव हासिल किया है।
वर्तमान में ओमप्रकाश जी प्रांतीय कार्यकारिणी के सदस्य एवं प्रांतीय अनुसाशन समिति के संयोजक के रूप में मंच को अपनी सेवाएँ दे रहे हैं। कार्यशाला प्रशिक्षक के रूप इन्होने १५ से भी अधीक कार्यशालाओं में अपनी उपस्थिति दर्ज़ कराई है।
मंच के अलावा ओमप्रकाश जी ने अन्य संस्थाओं को भी अपनी सेवाएँ दी हैं। जिनमे प्रमुख है:-
१। Vice Chairman & Chairman of
Guwahati Branch of EIRC of The Institute of Chartered Accountants of India
२। Vice President of
Tax Bar Association, Guwahati
३। श्री मारवाड़ी हिन्दी पुस्तकालय, गुवाहाटी (कार्यकारिणी सदस्य, संयुक्त मंत्री)
४। अग्रवाल युवा परिषद (संस्थापक सदस्य)
पेशे से चार्टर्ड एकाउंटेंट, श्री ओमप्रकाश अगरवाला, असम के कर सलाहकारों एवं चार्टर्ड एकाउंटेंट्स के बीच एक जाना पहचाना नाम है। अप्रत्यक्ष कर सम्बंधित विषयों पर इन्होने काफ़ी सेमिनारों एवं गोष्ठियों में निर्दिष्ट वक़्ता के रूप में अपनी सेवाएँ दी है।
रवि अजितसरिया ,गुवाहाटी
श्री ओमप्रकाश अगरवाला
अपनी गृह शाखा में इन्होने उपाध्यक्ष पद को भी सुशोभित किया. प्रान्तिय स्तर पर जन-संपर्क अधिकारी, प्रांतीय महामंत्री, कार्यकारिणी समिति सदस्य, प्रांतीय उपाध्यक्ष (मुख्यालय) आदि पदों पर भी इन्होने मंच सेवा का अनुभव हासिल किया है।
वर्तमान में ओमप्रकाश जी प्रांतीय कार्यकारिणी के सदस्य एवं प्रांतीय अनुसाशन समिति के संयोजक के रूप में मंच को अपनी सेवाएँ दे रहे हैं। कार्यशाला प्रशिक्षक के रूप इन्होने १५ से भी अधीक कार्यशालाओं में अपनी उपस्थिति दर्ज़ कराई है।
मंच के अलावा ओमप्रकाश जी ने अन्य संस्थाओं को भी अपनी सेवाएँ दी हैं। जिनमे प्रमुख है:-
१। Vice Chairman & Chairman of
Guwahati Branch of EIRC of The Institute of Chartered Accountants of India
२। Vice President of
Tax Bar Association, Guwahati
३। श्री मारवाड़ी हिन्दी पुस्तकालय, गुवाहाटी (कार्यकारिणी सदस्य, संयुक्त मंत्री)
४। अग्रवाल युवा परिषद (संस्थापक सदस्य)
पेशे से चार्टर्ड एकाउंटेंट, श्री ओमप्रकाश अगरवाला, असम के कर सलाहकारों एवं चार्टर्ड एकाउंटेंट्स के बीच एक जाना पहचाना नाम है। अप्रत्यक्ष कर सम्बंधित विषयों पर इन्होने काफ़ी सेमिनारों एवं गोष्ठियों में निर्दिष्ट वक़्ता के रूप में अपनी सेवाएँ दी है।
रवि अजितसरिया ,गुवाहाटी