इस ब्लॉग का उद्देश्य मंच की दिशा और दशा पर चर्चा करना है. जो यात्रा २३ साल पहले शुरू हुई थी वोह किस मुकाम तक पहुँची है. आज सुबह के अखबार में देखा मारवारी युवा मंच मुंबई में मारे गए निर्दोष लोगो तथा सहीदो तो श्रधांजलि देने के लिए सभा का आयोजन कर रही है. यह अच्छा है परन्तु क्या यहीं तक हमारा दायित्व है. सामाजिक सेवा कार्यो में हमारा कोई सानी नहीं है. मारवारी युवा मंच की पहचान आम मारवारी में इससे अधिक भी नहीं है. ना तो सामाजिक बुरइयो के पर क़तर पाई है ना ही राजनीती में अपने बूते दो चार सांसद भेजने की कुब्बत हासिल कर पाई है।
पिछले दिनों मुझे श्री संकरदेव नेत्र्यालय में नेत्र दान पखवारे में भाग लेने का मौका मिला। एक साल में कुल ४३ लोगो ने नेत्र दान किया था. मेरे पास ३६ लोगो की सूचि थी जिसमे से ३० लोग मारवारी थे. अगर यह गुवाहाटी का आंकडा है तो पुरे देश में स्तिथि क्या होगी. मारवारी समाज की जनसँख्या की ठीक ठीक जानकारी हमारे पास नही है। ना ही हमारे पास मरवारियो द्वारा किए गए व्यक्तिगत सामाजिक कार्यो के आकडे है।
रविवार, 30 नवंबर 2008
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बंधुवर,
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अजातशत्रु