युवा साथियों,
जब हम यहाँ मंच चर्चा के लिए जुट रहे हैं तो हमें हमारी दिशा का ज्ञान भी करना होगा। ये सही है की हमारे पास काफी शक्ति है, परन्तु क्या फ़िर भी हम सही दिशा में जा रहे हैं? यह हमें सोचना होगा। क्या हमें, हमारी पिछली पीढ़ियों की विरासत आगे बढ़ा पा रही हैं? 20 साल बाद हमारे किए कार्यों से हमारी पीढ़ियों को क्या मिलने जा रहा है? हम हमारा सर्वश्रेष्ठ पा रहे हैं? दोस्तों आग में बड़ी उर्जा होती है जो हमारे जीवन के लिए जरुरी है, पर वही आग जब दिशा भटक जाए तो, विनाश निश्चित होता है। अब ये हमारे ऊपर निर्भर करता है की उस आग से हम भूख मिटाने का सामान बनाते हैं या हाथ जलाते हैं। इसके लिए हमें तीन बातों पर विशेष तौर पर ध्यान केंद्रित करना होगा...
1. हमें हमारे साथियों में पढ़ने की आदत डालनी होगी।
यह सच है की हमारे पास पढ़ने योग्य बहुत सामग्री नहीं पर जो भी है वो हमारे कितने सदस्यों ने पढ़ा है, क्या डॉ.डी.का.टकनेत
लखित "मारवाडी समाज " जैसी पुस्तकें हमारे साथियों ने पढ़ा है?
2. हमें कार्यशालाओं के लिये नए और आसानी से उपलब्ध प्रशिक्षकों को सामने लाने होंगे।
ताकि इन से हमारे युवाओं में नई उर्जा का संचार हो सके।
3. हमें खुद के मंथन और विचारों के विनिमय हेतु एक मंच गठित करना होगा।
वैसे तो ये ब्लॉग इसकी शुरुआत कर चूका है पर इसे अभी और जमीनी स्तर पर लाना होगा। ताकी हमारे पूर्व सदस्यों के अनुभवों का भी लाभ लिया जा सके और उन्हें मंच से जोड़े भी रखा जा सके। लक्ष्य अभी और ऊँचा है.....
सुमित चमडिया
मुजफ्फरपुर बिहार मोबाइल - 9431238161
आप के चारों प्रश्नों का उत्तर यही है कि--
जवाब देंहटाएं'लक्ष्य अभी और ऊँचा है....'.
आप को अपनी कार्यशाला में सब का सहयोग और सीखने वालों की तत्परता और जागरूकता से ही कुछ सफलता मिल सकती है.
shubhkamnayen
सुमित जी ने जो बातें लिखी हैं इससे मुझे मंच के अन्दर काफी उर्जा दिखाई देने लगी है। समाज में डॉ.टकनेत के अलावा भी बहुत से साहित्य का भंडार भरा पड़ा है। अभी हाल ही में इस विषय पर मारवाड़ी सम्मेलन के मुखपत्र "समाज विकास" में श्री कन्हैया लाल सेठिया विशेषांक, साहित्य संगम विशेषांक, कोलकाता में हिन्दी नाट्यजगत में मारवाड़ियों का योगदान, श्री ज्योति प्रसाद अगरवाला विशेषांक, इसी क्रम में समाज के कई महान व्यक्तियों के जीवन परिचय जैसे कई अंक सुमित जी के उद्देश्यों को पूरा करते हैं। इसी क्रम में समाज की धरोहर अंक में "मारवाड़ी अस्पताल, मारवाड़ी रिलीफ सोसाईटी दोनों कोलकाता, मारवाड़ी दातव्य ओषधालय, गुवाहाटी" पर भी अंक निकाले गये हैं। समय-समय पर यह प्रयास किया जाता है कि समाज की उन सूचनाओं का संकलन इस पत्रिका में किया जाये जिससे आने वाली पीढ़ी को हम विरासत में कुछ दे कर जा सकें।
जवाब देंहटाएंयदि देश भर से सुमित जी जैसे 100 युवकों को हम एक मंच पर ला सके तो ये हमारी इस काल की सबसे सफलता मानी जायेगी।
-शम्भु चौधरी, कोलकाता।