जितेन्द्र जी, कृपा इस बात को स्पष्ट करें कि:
1.क्या यह बात सही है कि उत्कल में मारवाड़ी युवा मंच ने किसी इन्सुरेन्स कम्पनी के साथ व्यापारिक समझौता किया है। यदि किया है तो इसकी वास्तविकता क्या है?
2. क्या आपने किसी प्रकार की ट्रस्ट डीड बना रखी है? यदि है तो इससे मंच का कितना और किस प्रकार का संबंध है?
आप यदि इस दोनों बातों का सही -सही उत्तर देने में सझम नहीं हो तो भी अपनी बात हिन्दी या अंग्रेजी में लिख कर इस ब्लॉग पर पोस्ट करने की कृपा करें। इन प्रश्नों का उत्तर सीधे तौर पर आपके चुनाव से जुड़ा हुआ है। - शम्भु चौधरी
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आदरणीय शम्भू जी,
जवाब देंहटाएंचूँकि आपने ये प्रश्न पूछे है, तो जाहिर है कहीं न कहीं कोई बात अवश्य होगी. इस बात का अफ़सोस किया जा सकता है, कि २४ घंटे बीत जाने के बाद भी अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आयी है.
कुछ सवाल मैं आप पर भी दागना चाहूँगा. क्या आपने इन सवालों को इस ब्लॉग पर उठाने से पहले जीतेंद्र जी के सम्मुख उठाया था? यदि नहीं तो क्या ऐसा करना ज्यादा बेह्तर नहीं होता?
क्या आपने आपके इस पोस्ट की प्रति जीतेंद्र जी तक पहूँचाने हेतु कोई प्रयास किया? क्या ऐसा करना ज्यादा बेहतर नहीं होता?
बिना जीतेन्द्र जी कि तरफदारी किए और बिना आप ke सवालों पर koi शंका किए, मैं यह कहना चाहूँगा कि, हमें यह समझना होगा कि कुछ सवालों के उत्तर public platform पर नहीं दिए जा सकते हैं. हो सकता है कि ये सवाल भी उसी श्रेणी में आते हो. ये भी हो सकता है कि ब्याक्तिगत स्तर पर जीतेंद्र जी से बात करने से आपकी जिज्ञासाओं का समाधान हो जाता? समझने की बात यह है कि, महत्वपूर्ण क्या है, सवाल के उत्तर जानना या सवालों को सनसनीखेज बनाना?
और शम्भूजी, आप किनसे अपेक्षा कर रहें हैं कि वो इस ब्लॉग पर आपके सवालों का जबाब देंगे? शीर्ष पद के उम्मीदवार होते हुवे भी जो लोग अपना परिचय (bio-data) इस ब्लॉग पर देने में परहेज करते हैं, ब्लॉग की इस संवाद यात्रा को शुभकामना संदेश तक देने से गुरेज करते हैं, वैसे संवाद प्रेमी लोग यदि आपके सवालों का जवाब इस ब्लॉग में दें तो कम से कम मुझे तो सुखद आश्चर्य होगा.
भवदीय
शंकर अगरवाला
गुवाहाटी
शम्भू जी,
जवाब देंहटाएंरास्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव एक अत्यन्त ही महत्वपूर्ण, गंभीर और संवेदनशील मसला है. इस पद के उम्मीदवारों पर लिखते समय हमें इस बात पर ध्यान देना होगा कि कहीं जाने- अनजाने किस पक्ष बिशेष को फायदा या नुक्सान तो नहीं पहुंचा रहें हैं? शायद ऐसे बिषयों को इस ब्लॉग पर उठाने से पहले हमें concerned party से संपर्क करना चाहिए.
अजातशत्रु
प्रिय शंकर जी,
जवाब देंहटाएंआपके प्रश्नों का उत्तर देने से पहले यह बता देना चाहता हूँ कि हमें मंच के सदस्यों को यह बताना होगा कि हम जिस उम्मीदवार के प्रति आपनी आस्था व्यक्त करने जा रहें हैं वे कितने खरे उतरते हैं इन प्रश्नों का उत्तर देकर। जो प्रश्न इनसे किये गये हैं वे गोपणीय प्रश्न नहीं हैं। जहाँ तक इस पोस्ट की प्रति उन तक पहुँचाने की बात है, Live Traffic feed इस बात की पुष्टी करता है कि बात उन तक पहुँच गई है। जबाब देना उनके लिये ही हितकर होगा, कारण कि जिन बात को लेकर इनकी उम्मीदवारी को लेकर प्रश्नचिन्ह लगाया जा रहा है, इनमें य प्रमुख मुद्दे हैं।
अजातशत्रु जी के विचार से मैं सहमती रखते हुए यहाँ स्पष्ट कर देना चाहता हूँ कि - " राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव एक अत्यन्त ही महत्वपूर्ण, गंभीर और संवेदनशील मसला है।" जिस पक्ष से यह बात पुछी जा रही है, यह मंच के हित को देखते हुए पुछा जा रहा है न कि किसी व्यक्ति विशेष को ध्यान में रखते हुए।
इन प्रश्नों के बीच यह भी बता देना चाहता हूँ कि जब शीर्ष पदाधिकारी किसी प्रश्न पर मौन हो जातें हों तो , इसका अर्थ यह मान लेना चाहिये कि वे किसी विशेष परिस्थति के शिकार हैं।
मंच को व्यवसायिकरण करने का अधिकार कितना घातक होगा, इस बात को चुनाव से पूर्व स्पष्ट किये बिना चुनाव प्रक्रिया का इंतजार करना किसी भी गलत कार्य को अपनी स्वीकृति प्रदान करना होगा।
इस ब्लॉग के माध्यम से बात को उठाना इस लिये भी जरूरी है कि यह चुनाव किसी चार व्यक्ति के बीच का चुनाव नहीं मंच के शीर्ष पद का चुनाव है। मंच की प्रत्येक शाखा को भी पता होना चाहिये कि आखिर भीतर ही भीतर क्या पक रहा है। - शम्भु चौधरी
पुनः इस बात को स्पष्ट कर देता हूँ कि इससे पूर्व मेरे लेख को देखें:
जवाब देंहटाएंबलराम सुल्तानीया पर भी मैंने अपनी तीखी टिप्पणी की है।
चुनाव पर उम्मीदवार की वैधता पर संविधान की व्यख्या पर मेरी लेखनी ने किसी एक उम्मीदवार को लाभ मिला होगा। इस लाभ और हानि के चक्कर जैसे शब्दजाल से मेरे लेख को बंधना किसी भी दृष्टीकोण से सही नहीं होगा। - शम्भु चौधरी फोन: 0-9831082737
ये क्या हो रहा है अजातशत्रु जी? चुनाव प्रक्रिया पर आपने बात उठाई थी, राज कुमार जी ने आप की बात का समर्थन भी किया था। पर उसके बाद क्या हुवा? क्या चुनाव अधिकारी की ओर से कोई स्पष्टीकरण या जवाब आया? शायद नहीं। सवाल यह उठता है कि मंच सदस्यों की जिज्ञासाओं या सुझावों का कोई वजूद है या नहीं हमारे कर्णधारों के समक्ष? इतनी बड़ी संस्था के चुनावों में इतनी गफलत! आख़िर मजबूरी क्या है कर्णधारों की? धृतराष्ट्र ने एक साथ बहुत से अवतार तो नहीं ले लिया है? क्या मजबूरी रही होगी कर्णधारों के समक्ष कि, संस्था के दो सबसे बड़े पदाधिकारी उम्मीदवारों के पक्ष और विपक्ष में बात कर रहें हैं? किस बात का डर है उन्हें? मंच सदस्यों को क्या वे इस लायक भी नहीं समझते कि वो अपना नेता चुन सके?
जवाब देंहटाएंशायद ऐसा ही है, तभी तो ये चाहते हैं मंच सदस्यों को चुनाव से सिर्फ़ ५-६ घंटे पहले ही उम्मीदवारों की जानकारी मिले। मंच सदस्यों को जानकारी चाहिए भी क्यों? उन्हें थोड़े ही तय करना है कि उनका नेता कौन होगा? नेता तो नेता ही तय करेंगे, सदस्यों में इतनी अक्ल कहाँ?
अजातशत्रु जी ने सवाल किया- जवाब नदारद। शंभू जी ने सवाल किया- जवाब नदारद। विनोद जी ने 'मंच संदेश.कॉम" पर प्रतिकूल टिपण्णी की, प्रकाशित टिपण्णी गायब?
ये क्या हो रहा है जी? कहाँ जा रहें हैं हम? ये तो वो मंजिल नहीं?
शंकर अगरवाला, गुवाहाटी
९८६४०- ९४९०५
आदरणीय शंकर जी, नमस्कार।
जवाब देंहटाएंहमें इनके उत्तर के इंतजार में नहीं रहना चाहिये। इनके चरित्र को उजागर करने के लिये इनकी चुप्पी ही हमारे लिए ज्यादा सहायक होगी।
- शम्भु चौधरी, कोलकाता - मो.0-9831082737
जितेन्द्र जी, कृपा इस बात को स्पष्ट करें कि:
जवाब देंहटाएंजितेन्द्र जी शायद यह सोचते हैं कि उनको गलत काम का समर्थन मिल ही रहा है तो जबाब देना जरूरी नहीं लगता। यह बात स्पष्ट कर देता हूँ की आप मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिये खड़े हैं।न कि किसी प्रान्त का चुनाव हो रहा है। मेरे प्रश्न पर आपकी चुप्पी को यह मान लेना होगा कि आप मंच को अपने मन से चलाना चाहते हैं जो कभी संभव नहीं हो सकता।- शम्भु चौधरी