आज १८/१२/२००८ को मैंने ये ब्लॉग लोड किया है। आशा करता हूँ की कुझे इस की जरूरत नही पड़ेगी।
गुरुवार, 18 दिसंबर 2008
बुधवार, 17 दिसंबर 2008
इस ब्लॉग में मेरी अन्तिम पोस्ट
मैं इन्टरनेट, ब्लॉग और संवाद के सभी नवीन माध्यमों का पुरजोर समर्थक रहा हूँ, किंतु यह ब्लॉग जिस राह पर चल पड़ा है, उससे असहमति जताता हूँ एवं ब्लॉग ऑनर महोदय से अनुरोध करता हूँ कि मेरा नाम ब्लॉग लेखकों की सूची से हटा लें. धन्यवाद
- अनिल वर्मा, प्रांतीय महामंत्री, बिहार
सभी मंच के सिपाही हैं - शम्भु चौधरी
दोस्तों पुनः आपके सामने कुछ दिनों बाद आ रहा हूँ, आपको पता ही होगा कि "समाज विकास" पत्रिका का सम्पादन और प्रकाशन का कार्य मेरे ऊपर ही है, जिसके कारण हर माह मुझे वक्त निकालना ही पड़ेगा। इस बीच जब भी खाली रहता हूँ तो आप लोगों को याद करता रहता हूँ। पिछले सप्ताह सुबह जब मैं अपने कपड़े धो रहा था तो मेरे मन में यह विचार आया कि पानी का प्रयोग हम किस-किस प्रकार से करते हैं। फिर भी पानी के प्रति हमारे मन में जरा ही सम्मान नहीं है। हम वक्त वे वक्त पानी को बहाते रहते हैं। सड़क पर नगरपालिका की टूंटी बहती रहती है या टूटी हुई रहती है। कहीं सुखा तो कहीं पानी बहता रहता है। कल आपसे इस बात को आगे बढ़ाते हुए व्यक्तित्व विकास पर इसके प्रभाव पर भी हम चर्चा करेगें। साथ ही यह भी चर्चा करेगें कि आपकी फोटो कैसे आपके जीवन पर प्रभाव डालती है।
मैं यह मानता हूँ कि आप मेरी बातों को जरूर ही पढ़ते होंगे। पर मुझे भी तो पता चले कि आप पढ़ रहे हैं कि नहीं।
चुनाव
चुनाव संबंधी एक प्रश्न मैंने यहाँ पर उठाया था, इस विषय पर मेरी दो बार श्री जितेन्द्र जी से फोन पर बातें भी हुई , उन्होंने प्रश्न के जबाब से ज्यादा अपने प्रभाव की बातें मुझे समझाते रहे। यहाँ यह बात भी स्पष्ट कर देना चाहता हूँ कि मेरे भाई जी (श्री प्रमोद्ध सराफ) से अच्छे संबंध होने का अर्थ यह नहीं कि मैं उनकी हर बातों का समर्थक हूँ। हाँ ! उनके प्रति मेरे मन में जो सम्मान है, कि वे जो बात कह देगें वही मेरे लिये ब्रह्मवाक्य हो जायेगा, फिर भी मेरे विचार हमेशा से मंच के हित को देखते हुए ही देता रहा हूँ और जब तक मेरी बात आपलोगों तक जाती रहेगी, देता रहूँगा। कोई इस बात से नाराज रहे या खुश। किसी एक को खुश कर, पुरे घर में आग नहीं लगायी जा सकती।
मेरी नजर में जितेन्द्र जी के प्रान्तीय कार्यकाल में लिये गये कुछ निर्णय किसी भी प्रकार से सही नहीं थे। जिसको लेकर मैंने इस ब्लॉग पर प्रश्न उठाया था कि उनको इस ब्लॉग पर अपनी बात रखने का पूरा अवसर दिया जाया। ताकी मेरी कोई भूल हो जिसे मैं ठीक से समझ नहीं पाया हूँ तो उनको मेरे माध्यम से अपनी बात का स्पष्टीकरण करने का बेहतर मौका मिला था, कि वे गलत बात के प्रचार का मुँह तोड़ जबाब दे पाते। पर शायद इनके समर्थकों ने यह सोच लिया था कि जबाब देना जरूरी नहीं क्योंकि मंच के वोट उनके झोलों से निकलते हैं। हर जगह मंच के सदस्यों ने उनसे यह प्रश्न किया, जबाब नदारत था। मुझे फोन पर जबाब मिला कि जो भी निर्णय लिये गये थे "प्रान्तीय कार्यकारिणी" से पारित करवा कर लिये गये थे। एक बात आपसे करता हूँ क्या आगे वे जब वे राष्ट्रीय कार्यकारिणी से कोई- मसलन यह निर्णय पारित करवा लें कि मंच में बाबा रामदेव की दवा भी बेची जा सकती है, बाबा रामदेव का केम्प लागायें और उनकी दवा बेचने पर मंच को 20% कमीशन प्राप्त होगी जिससे मंच जनसेवा का कार्य करेगा। या सरकारी चन्दा प्राप्त करने के लिये मंच खर्च दिखा सकता है। तो आप इस बात का समर्थन करेगें । यदि आपका जबाब 'हाँ' है तो जितेन्द्र जी को जरूर अपना समर्थन दें। अन्यथा समर्थन देने से पहले यह जरूर सोच लें कि हम किसी निर्जीव चिन्ह पर अपना छाप नहीं देने जा रहें कि जो हमारे नेतागण कह दिये बस उसे ही छाप दे देना है। यह भारतीय लोकतंत्र का चुनाव नहीं हो रहा कि हम हाथ,हथोड़ा, बैल, उल्लू, कहने का अर्थ है कि वैसे किसी चिन्ह को वोट नहीं देने जा रहे जिसकी खुद की कोई सोच है ही नहीं।
मुझे लिखते हुए बड़ा कष्ट हो रहा कि मंच के कुछ जिम्मेदार लोग मंच को खुद के स्वार्थ पूर्ति का मंच बना लिया है। जिस स्तर का प्रचार मंच में शुरू हुआ है, उसको देखकर यही लिखा जा सकता है कि मंच को आपलोग मिलकर बचा लें। छीन लें उन नेताओं की दुकानदारी जो मंच को बपौती समझते हैं। जिनके पास विचार नाम की जरा भी सोच होती तो वे इस तरह की बचकानी हरकतों का कभी समर्थक नहीं होते। आपलोग जरूर मतदान करें। अच्छे वातावरण में मतदान करें। हर पक्ष को मेरा समर्थन है । सभी मंच के सिपाही हैं। बस आंकलन करते समय इन बातों को सोचना ही होगा कि मंच को हम किस दिशा में ले जाना चाहते हैं।
- शम्भु चौधरी, कोलकाता फोन: - 98310 82737
सभी मंच के सिपाही हैं - शम्भु चौधरी
दोस्तों पुनः आपके सामने कुछ दिनों बाद आ रहा हूँ, आपको पता ही होगा कि "समाज विकास" पत्रिका का सम्पादन और प्रकाशन का कार्य मेरे ऊपर ही है, जिसके कारण हर माह मुझे वक्त निकालना ही पड़ेगा। इस बीच जब भी खाली रहता हूँ तो आप लोगों को याद करता रहता हूँ। पिछले सप्ताह सुबह जब मैं अपने कपड़े धो रहा था तो मेरे मन में यह विचार आया कि पानी का प्रयोग हम किस-किस प्रकार से करते हैं। फिर भी पानी के प्रति हमारे मन में जरा ही सम्मान नहीं है। हम वक्त वे वक्त पानी को बहाते रहते हैं। सड़क पर नगरपालिका की टूंटी बहती रहती है या टूटी हुई रहती है। कहीं सुखा तो कहीं पानी बहता रहता है। कल आपसे इस बात को आगे बढ़ाते हुए व्यक्तित्व विकास पर इसके प्रभाव पर भी हम चर्चा करेगें। साथ ही यह भी चर्चा करेगें कि आपकी फोटो कैसे आपके जीवन पर प्रभाव डालती है।
मैं यह मानता हूँ कि आप मेरी बातों को जरूर ही पढ़ते होंगे। पर मुझे भी तो पता चले कि आप पढ़ रहे हैं कि नहीं।
चुनाव
चुनाव संबंधी एक प्रश्न मैंने यहाँ पर उठाया था, इस विषय पर मेरी दो बार श्री जितेन्द्र जी से फोन पर बातें भी हुई , उन्होंने प्रश्न के जबाब से ज्यादा अपने प्रभाव की बातें मुझे समझाते रहे। यहाँ यह बात भी स्पष्ट कर देना चाहता हूँ कि मेरे भाई जी (श्री प्रमोद्ध सराफ) से अच्छे संबंध होने का अर्थ यह नहीं कि मैं उनकी हर बातों का समर्थक हूँ। हाँ ! उनके प्रति मेरे मन में जो सम्मान है, कि वे जो बात कह देगें वही मेरे लिये ब्रह्मवाक्य हो जायेगा, फिर भी मेरे विचार हमेशा से मंच के हित को देखते हुए ही देता रहा हूँ और जब तक मेरी बात आपलोगों तक जाती रहेगी, देता रहूँगा। कोई इस बात से नाराज रहे या खुश। किसी एक को खुश कर, पुरे घर में आग नहीं लगायी जा सकती।
मेरी नजर में जितेन्द्र जी के प्रान्तीय कार्यकाल में लिये गये कुछ निर्णय किसी भी प्रकार से सही नहीं थे। जिसको लेकर मैंने इस ब्लॉग पर प्रश्न उठाया था कि उनको इस ब्लॉग पर अपनी बात रखने का पूरा अवसर दिया जाया। ताकी मेरी कोई भूल हो जिसे मैं ठीक से समझ नहीं पाया हूँ तो उनको मेरे माध्यम से अपनी बात का स्पष्टीकरण करने का बेहतर मौका मिला था, कि वे गलत बात के प्रचार का मुँह तोड़ जबाब दे पाते। पर शायद इनके समर्थकों ने यह सोच लिया था कि जबाब देना जरूरी नहीं क्योंकि मंच के वोट उनके झोलों से निकलते हैं। हर जगह मंच के सदस्यों ने उनसे यह प्रश्न किया, जबाब नदारत था। मुझे फोन पर जबाब मिला कि जो भी निर्णय लिये गये थे "प्रान्तीय कार्यकारिणी" से पारित करवा कर लिये गये थे। एक बात आपसे करता हूँ क्या आगे वे जब वे राष्ट्रीय कार्यकारिणी से कोई- मसलन यह निर्णय पारित करवा लें कि मंच में बाबा रामदेव की दवा भी बेची जा सकती है, बाबा रामदेव का केम्प लागायें और उनकी दवा बेचने पर मंच को 20% कमीशन प्राप्त होगी जिससे मंच जनसेवा का कार्य करेगा। या सरकारी चन्दा प्राप्त करने के लिये मंच खर्च दिखा सकता है। तो आप इस बात का समर्थन करेगें । यदि आपका जबाब 'हाँ' है तो जितेन्द्र जी को जरूर अपना समर्थन दें। अन्यथा समर्थन देने से पहले यह जरूर सोच लें कि हम किसी निर्जीव चिन्ह पर अपना छाप नहीं देने जा रहें कि जो हमारे नेतागण कह दिये बस उसे ही छाप दे देना है। यह भारतीय लोकतंत्र का चुनाव नहीं हो रहा कि हम हाथ,हथोड़ा, बैल, उल्लू, कहने का अर्थ है कि वैसे किसी चिन्ह को वोट नहीं देने जा रहे जिसकी खुद की कोई सोच है ही नहीं।
मुझे लिखते हुए बड़ा कष्ट हो रहा कि मंच के कुछ जिम्मेदार लोग मंच को खुद के स्वार्थ पूर्ति का मंच बना लिया है। जिस स्तर का प्रचार मंच में शुरू हुआ है, उसको देखकर यही लिखा जा सकता है कि मंच को आपलोग मिलकर बचा लें। छीन लें उन नेताओं की दुकानदारी जो मंच को बपौती समझते हैं। जिनके पास विचार नाम की जरा भी सोच होती तो वे इस तरह की बचकानी हरकतों का कभी समर्थक नहीं होते। आपलोग जरूर मतदान करें। अच्छे वातावरण में मतदान करें। हर पक्ष को मेरा समर्थन है । सभी मंच के सिपाही हैं। बस आंकलन करते समय इन बातों को सोचना ही होगा कि मंच को हम किस दिशा में ले जाना चाहते हैं।
- शम्भु चौधरी, कोलकाता फोन: - 98310 82737
श्री ओमप्रकाश अगरवाला
अपनी गृह शाखा में इन्होने उपाध्यक्ष पद को भी सुशोभित किया. प्रान्तिय स्तर पर जन-संपर्क अधिकारी, प्रांतीय महामंत्री, कार्यकारिणी समिति सदस्य, प्रांतीय उपाध्यक्ष (मुख्यालय) आदि पदों पर भी इन्होने मंच सेवा का अनुभव हासिल किया है।
वर्तमान में ओमप्रकाश जी प्रांतीय कार्यकारिणी के सदस्य एवं प्रांतीय अनुसाशन समिति के संयोजक के रूप में मंच को अपनी सेवाएँ दे रहे हैं। कार्यशाला प्रशिक्षक के रूप इन्होने १५ से भी अधीक कार्यशालाओं में अपनी उपस्थिति दर्ज़ कराई है।
मंच के अलावा ओमप्रकाश जी ने अन्य संस्थाओं को भी अपनी सेवाएँ दी हैं। जिनमे प्रमुख है:-
१। Vice Chairman & Chairman of
Guwahati Branch of EIRC of The Institute of Chartered Accountants of India
२। Vice President of
Tax Bar Association, Guwahati
३। श्री मारवाड़ी हिन्दी पुस्तकालय, गुवाहाटी (कार्यकारिणी सदस्य, संयुक्त मंत्री)
४। अग्रवाल युवा परिषद (संस्थापक सदस्य)
पेशे से चार्टर्ड एकाउंटेंट, श्री ओमप्रकाश अगरवाला, असम के कर सलाहकारों एवं चार्टर्ड एकाउंटेंट्स के बीच एक जाना पहचाना नाम है। अप्रत्यक्ष कर सम्बंधित विषयों पर इन्होने काफ़ी सेमिनारों एवं गोष्ठियों में निर्दिष्ट वक़्ता के रूप में अपनी सेवाएँ दी है।
रवि अजितसरिया ,गुवाहाटी
श्री ओमप्रकाश अगरवाला
अपनी गृह शाखा में इन्होने उपाध्यक्ष पद को भी सुशोभित किया. प्रान्तिय स्तर पर जन-संपर्क अधिकारी, प्रांतीय महामंत्री, कार्यकारिणी समिति सदस्य, प्रांतीय उपाध्यक्ष (मुख्यालय) आदि पदों पर भी इन्होने मंच सेवा का अनुभव हासिल किया है।
वर्तमान में ओमप्रकाश जी प्रांतीय कार्यकारिणी के सदस्य एवं प्रांतीय अनुसाशन समिति के संयोजक के रूप में मंच को अपनी सेवाएँ दे रहे हैं। कार्यशाला प्रशिक्षक के रूप इन्होने १५ से भी अधीक कार्यशालाओं में अपनी उपस्थिति दर्ज़ कराई है।
मंच के अलावा ओमप्रकाश जी ने अन्य संस्थाओं को भी अपनी सेवाएँ दी हैं। जिनमे प्रमुख है:-
१। Vice Chairman & Chairman of
Guwahati Branch of EIRC of The Institute of Chartered Accountants of India
२। Vice President of
Tax Bar Association, Guwahati
३। श्री मारवाड़ी हिन्दी पुस्तकालय, गुवाहाटी (कार्यकारिणी सदस्य, संयुक्त मंत्री)
४। अग्रवाल युवा परिषद (संस्थापक सदस्य)
पेशे से चार्टर्ड एकाउंटेंट, श्री ओमप्रकाश अगरवाला, असम के कर सलाहकारों एवं चार्टर्ड एकाउंटेंट्स के बीच एक जाना पहचाना नाम है। अप्रत्यक्ष कर सम्बंधित विषयों पर इन्होने काफ़ी सेमिनारों एवं गोष्ठियों में निर्दिष्ट वक़्ता के रूप में अपनी सेवाएँ दी है।
रवि अजितसरिया ,गुवाहाटी
मंगलवार, 16 दिसंबर 2008
मंच के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पद के प्रत्याशी
मंच के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पद के प्रत्याशी
राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के प्रत्याशी
चुनाव अधिकारी श्री बलराम सुल्तानिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद हेतु निम्न उम्मीदवारों के प्रस्ताव नियमित पाए गए हैं।
श्री जगदीश चंद्र मिश्रा "पप्पु" - भागलपुर शाखा (बिहार प्रान्त)
श्री जयप्रकाश लाठ - बरगढ़ शाखा (उत्कल प्रान्त)
श्री जीतेंद्र गुप्ता - अंगुल शाखा (उत्कल प्रान्त)
श्री कैलाश चंद अगरवाल - काँटाबाजी शाखा (उत्कल प्रान्त)
श्री श्याम सुंदर सोनी - पूर्वी दिल्ली शाखा (दिल्ली प्रान्त)
यह पता चला है की इन में से श्री जयप्रकाश लाठ और श्री कैलाश चंद अगरवाल ने श्री जीतेंद्र गुप्ता के समर्थन में मतदान की अपील जारी की है, यानि ये दोनों कम से कम गंभीर प्रत्याशी नही हैं
अजातशत्रु
.
राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के प्रत्याशी
चुनाव अधिकारी श्री बलराम सुल्तानिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद हेतु निम्न उम्मीदवारों के प्रस्ताव नियमित पाए गए हैं।
श्री जगदीश चंद्र मिश्रा "पप्पु" - भागलपुर शाखा (बिहार प्रान्त)
श्री जयप्रकाश लाठ - बरगढ़ शाखा (उत्कल प्रान्त)
श्री जीतेंद्र गुप्ता - अंगुल शाखा (उत्कल प्रान्त)
श्री कैलाश चंद अगरवाल - काँटाबाजी शाखा (उत्कल प्रान्त)
श्री श्याम सुंदर सोनी - पूर्वी दिल्ली शाखा (दिल्ली प्रान्त)
यह पता चला है की इन में से श्री जयप्रकाश लाठ और श्री कैलाश चंद अगरवाल ने श्री जीतेंद्र गुप्ता के समर्थन में मतदान की अपील जारी की है, यानि ये दोनों कम से कम गंभीर प्रत्याशी नही हैं
अजातशत्रु
.
आशा बोई, आनंद उगाया
रवि अजितसरिया ,
गुवाहाटी
आशा बोई, आनंद उगाया
रवि अजितसरिया ,
गुवाहाटी
मैंने सुना है कि मंच नेतृत्व को आपका ब्लॉग रास नही आ रहा है। पहले तो यह सुना करता था कि पदाधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि वे इस ब्लॉग को प्रोत्साहन न दे. आज यह सुना है कि कल दक्षिण भारत में किसी हस्ती ने इस ब्लॉग को मंच की अखंडता के लिए खतरा बताया है. अजातशत्रु जी, कृपया लोगों को बताएं कि क्या आपने इस ब्लॉग के सम्बन्ध में मंच नेतृत्व को सूचित किया था? क्या मंच नेतृत्व ने आपको ब्लॉग के सम्बन्ध में कोई नसीहत या सुझाव दिया था? आपने अपने ब्लॉग में सिर्फ़ एक ही उम्मीदवार का परिचय प्रकाशित किया है, अन्य किसी का भी नही किया? कहीं आप इस ब्लॉग को किसी व्यक्ति विशेष को समर्थन देने हेतु तो नहीं चला रहें हैं?
आपसी संवाद के लिए ब्लॉग न सिर्फ़ एक अच्छा माध्यम है बल्कि २१वि सदी की जरुरत भी है। अभी तक मंच के भूतपूर्व और वर्त्तमान नेत्रत्व का इस ब्लॉग से दूर रहने का कारण ये नही की ब्लॉग कोन्त्रोवेर्सिअल है और उनके पार्टिसिपेशन से इसे वैधानिक मान्यता मिलेगी बल्कि ये दर्शाता है की अभी भी मंच की लीडरशिप २१वि सदी के संवाद माध्यमो से अन्नाभिग है. मंच मैं प्रोफ़ेसिओनलिस्म का आभाव सुरु से ही रहा है और ये अब दूर होना चाहिए.
दक्षिण भारत में किस हस्ती ने कब और क्या कहा, यह भी हमें नहीं पता। हमारा तो यह मानना है कि यदि इस ब्लॉग पर आपत्ति रखने वालों को हमसे संपर्क कर अपनी आपत्ति बतानी चाहिए। हम भी मंच सदस्य/ हितैषी है, कभी भी मंच का नुकसान नहीं चाहेंगे। यदि यह ब्लॉग वाकई में मंच की अखंडता क लिए खतरा है तो हम त्वरित रूप से इस ब्लॉग को बंद कर देंगे। पर कोई हमें समझाए तो सही कि यह ब्लॉग किस प्रकार मंच कि अखंडता के लिए खतरा है?
जीवराज जी ने पूछा है कि क्या हमने मंच नेतृत्व को इस ब्लॉग क बारे में सूचित किया था? जी हाँ, हमने इस ब्लॉग कि सुचना शीर्ष नेतृत्व सहित और भी बहुत से पदाधिकारियों को दी है और कई कई बार दी है। जीवराज जी के दुसरे सवाल का जवाब यह है कि मंच नेतृत्व से इस ब्लॉग को कोई सुझाव या नसीहत नही दी गयी।
तीसरा सवाल भी काफी गंभीर है। हम यह कहना चाहेंगे कि यह सोचना बिल्कुल बेबुनियाद है कि इस ब्लॉग को किसी व्यक्ति विशेष को समर्थन प्रदान करने हेतु चलाया जा रहा है। हम तो पिछले एक माह से उम्मीदवारों से अनुरोध करते आ रहें हैं कि आप अपना बायो डाटा भेजें या भिजवायें। हमें एक ही प्रत्यासी का बायो डाटा प्राप्त हुवा जिसे हमने प्रकाशित भी कर दिया है। हम वचन वद्ध हैं कि यह ब्लॉग किसी भी प्रत्यासी विशेष के समर्थन या विरोध में कोई कार्य नहीं करेगा। पूर्वाग्रहों का इलाज़ क्या हो सकता है, यह हमें नहीं पता।
जहाँ तक इस ब्लॉग के रास न आने की बात है, हमारा मानना है कि दो-तरफा संवाद सूत्र की उपयोगिता समझने वालों को यह ब्लॉग निःसंदेह रास आ रहा है। हम विपरीत विचारों का हमेशा स्वागत करते हैं। इस ब्लॉग से मंच को नुक्सान पहुँचने की आशंका रखने वालो से अनुरोध है की वो अपनी आशंकाएं खुल कर इस ब्लॉग पर कहें ताकि मंच सदस्य इस मामले में सही निर्णय ले सके।
अजातशत्रु
मैंने सुना है कि मंच नेतृत्व को आपका ब्लॉग रास नही आ रहा है। पहले तो यह सुना करता था कि पदाधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि वे इस ब्लॉग को प्रोत्साहन न दे. आज यह सुना है कि कल दक्षिण भारत में किसी हस्ती ने इस ब्लॉग को मंच की अखंडता के लिए खतरा बताया है. अजातशत्रु जी, कृपया लोगों को बताएं कि क्या आपने इस ब्लॉग के सम्बन्ध में मंच नेतृत्व को सूचित किया था? क्या मंच नेतृत्व ने आपको ब्लॉग के सम्बन्ध में कोई नसीहत या सुझाव दिया था? आपने अपने ब्लॉग में सिर्फ़ एक ही उम्मीदवार का परिचय प्रकाशित किया है, अन्य किसी का भी नही किया? कहीं आप इस ब्लॉग को किसी व्यक्ति विशेष को समर्थन देने हेतु तो नहीं चला रहें हैं?
आपसी संवाद के लिए ब्लॉग न सिर्फ़ एक अच्छा माध्यम है बल्कि २१वि सदी की जरुरत भी है। अभी तक मंच के भूतपूर्व और वर्त्तमान नेत्रत्व का इस ब्लॉग से दूर रहने का कारण ये नही की ब्लॉग कोन्त्रोवेर्सिअल है और उनके पार्टिसिपेशन से इसे वैधानिक मान्यता मिलेगी बल्कि ये दर्शाता है की अभी भी मंच की लीडरशिप २१वि सदी के संवाद माध्यमो से अन्नाभिग है. मंच मैं प्रोफ़ेसिओनलिस्म का आभाव सुरु से ही रहा है और ये अब दूर होना चाहिए.
दक्षिण भारत में किस हस्ती ने कब और क्या कहा, यह भी हमें नहीं पता। हमारा तो यह मानना है कि यदि इस ब्लॉग पर आपत्ति रखने वालों को हमसे संपर्क कर अपनी आपत्ति बतानी चाहिए। हम भी मंच सदस्य/ हितैषी है, कभी भी मंच का नुकसान नहीं चाहेंगे। यदि यह ब्लॉग वाकई में मंच की अखंडता क लिए खतरा है तो हम त्वरित रूप से इस ब्लॉग को बंद कर देंगे। पर कोई हमें समझाए तो सही कि यह ब्लॉग किस प्रकार मंच कि अखंडता के लिए खतरा है?
जीवराज जी ने पूछा है कि क्या हमने मंच नेतृत्व को इस ब्लॉग क बारे में सूचित किया था? जी हाँ, हमने इस ब्लॉग कि सुचना शीर्ष नेतृत्व सहित और भी बहुत से पदाधिकारियों को दी है और कई कई बार दी है। जीवराज जी के दुसरे सवाल का जवाब यह है कि मंच नेतृत्व से इस ब्लॉग को कोई सुझाव या नसीहत नही दी गयी।
तीसरा सवाल भी काफी गंभीर है। हम यह कहना चाहेंगे कि यह सोचना बिल्कुल बेबुनियाद है कि इस ब्लॉग को किसी व्यक्ति विशेष को समर्थन प्रदान करने हेतु चलाया जा रहा है। हम तो पिछले एक माह से उम्मीदवारों से अनुरोध करते आ रहें हैं कि आप अपना बायो डाटा भेजें या भिजवायें। हमें एक ही प्रत्यासी का बायो डाटा प्राप्त हुवा जिसे हमने प्रकाशित भी कर दिया है। हम वचन वद्ध हैं कि यह ब्लॉग किसी भी प्रत्यासी विशेष के समर्थन या विरोध में कोई कार्य नहीं करेगा। पूर्वाग्रहों का इलाज़ क्या हो सकता है, यह हमें नहीं पता।
जहाँ तक इस ब्लॉग के रास न आने की बात है, हमारा मानना है कि दो-तरफा संवाद सूत्र की उपयोगिता समझने वालों को यह ब्लॉग निःसंदेह रास आ रहा है। हम विपरीत विचारों का हमेशा स्वागत करते हैं। इस ब्लॉग से मंच को नुक्सान पहुँचने की आशंका रखने वालो से अनुरोध है की वो अपनी आशंकाएं खुल कर इस ब्लॉग पर कहें ताकि मंच सदस्य इस मामले में सही निर्णय ले सके।
अजातशत्रु
AJATSHATRU
AJATSHATRU
सोमवार, 15 दिसंबर 2008
http://www.mymjsr.com/
web URL : http://www.mymjsr.com/
अजातशत्रु
http://www.mymjsr.com/
web URL : http://www.mymjsr.com/
अजातशत्रु
शनिवार, 13 दिसंबर 2008
बिहार प्रान्त
झारखण्ड प्रान्त
नोट: ये सूचियाँ अधिकृत या CERTIFIED नही है.
अजातशत्रु
बिहार प्रान्त
झारखण्ड प्रान्त
नोट: ये सूचियाँ अधिकृत या CERTIFIED नही है.
अजातशत्रु
जीतेन्द्र गुप्ता गुवाहाटी में .
रवि अजितसरिया
गुवाहाटी
जीतेन्द्र गुप्ता गुवाहाटी में .
रवि अजितसरिया
गुवाहाटी
शुक्रवार, 12 दिसंबर 2008
मारवाडी समाज सतत प्रगतिशील है...
एक बार पुनः अजातशत्रु जी को बधाई.
सुमित चमडिया
मुजफ्फरपुर
मोबाइल - 9431238161
मारवाडी समाज सतत प्रगतिशील है...
एक बार पुनः अजातशत्रु जी को बधाई.
सुमित चमडिया
मुजफ्फरपुर
मोबाइल - 9431238161
गुरुवार, 11 दिसंबर 2008
कोसी के कछार पर अब ठण्ड से कंपकपी
खुले आकाश तले ये सर्द रातें कैसे कटेगी? कोसी क्षेत्र के लाखों बाढ़ पीडितों के मन में अब यह नया सवाल कौंधने लगा है. वे इस अहसास से ही सिहर रहे है. बाढ़ ने घर-मकान, दूकान-सामान, खेत-खलिहान सब बर्बाद कर दिया. और अब ठण्ड की मार. जब तन ढकने के लिए कपड़े न हों ऐसे में गरम कपड़ा कहाँ से लायें. त्रिवेणीगंज, मधेपुरा, फोरबिसगंज, सहरसा, मुरलीगंज, प्रतापगंज आदि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के सामने आज यह सबसे बड़ा सवाल मुह बाये खड़ा है. कैसे कटेगी ये सर्द ठिठुरती हुई रातें? अब तो न सरकार कहीं दिखाई दे रही है और न ही विपक्षी दल.
अन्य क्षेत्रों की तुलना में कोसी की भौगोलिक संरचना में भी फर्क है - यह चारों ओर से खुला है. नदी के किनारे बसेरा है. हवाएं सीधी चोट करती है. कहीं कोई रुकावट नहीं. सर्द हवाएं हड्डियाँ तक कंपा देती है. मुरलीगंज के रमेश कहते है - आधी रोटी खाकर किसी तरह रातें गुजारते है, लेकिन इस ठण्ड से बचना तो नामुमकिन लग रहा है.
इसे भी पढ़ें -
http://ummide.blogspot.com/2008/12/flood-relief-and-rehabilitation-project.html
- अनिल वर्मा
कोसी के कछार पर अब ठण्ड से कंपकपी
खुले आकाश तले ये सर्द रातें कैसे कटेगी? कोसी क्षेत्र के लाखों बाढ़ पीडितों के मन में अब यह नया सवाल कौंधने लगा है. वे इस अहसास से ही सिहर रहे है. बाढ़ ने घर-मकान, दूकान-सामान, खेत-खलिहान सब बर्बाद कर दिया. और अब ठण्ड की मार. जब तन ढकने के लिए कपड़े न हों ऐसे में गरम कपड़ा कहाँ से लायें. त्रिवेणीगंज, मधेपुरा, फोरबिसगंज, सहरसा, मुरलीगंज, प्रतापगंज आदि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के सामने आज यह सबसे बड़ा सवाल मुह बाये खड़ा है. कैसे कटेगी ये सर्द ठिठुरती हुई रातें? अब तो न सरकार कहीं दिखाई दे रही है और न ही विपक्षी दल.
अन्य क्षेत्रों की तुलना में कोसी की भौगोलिक संरचना में भी फर्क है - यह चारों ओर से खुला है. नदी के किनारे बसेरा है. हवाएं सीधी चोट करती है. कहीं कोई रुकावट नहीं. सर्द हवाएं हड्डियाँ तक कंपा देती है. मुरलीगंज के रमेश कहते है - आधी रोटी खाकर किसी तरह रातें गुजारते है, लेकिन इस ठण्ड से बचना तो नामुमकिन लग रहा है.
इसे भी पढ़ें -
http://ummide.blogspot.com/2008/12/flood-relief-and-rehabilitation-project.html
- अनिल वर्मा
२५ दिसम्बर २००८ को रांची में हो रहे राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव हेतु एक उम्मीदवार है- श्री जीतेंद्र गुप्ता, जिन्हें अक्सर जीतू भाई के रूप में भी संबोधित किया जाता है। मृदु भाषी और कर्मठ मंचिस्ट श्री जीतेंद्र गुप्ता का परिचय यूँ दिया जा सकता है।
श्री जीतेंद्र गुप्ता का जन्म ६ जून १९६९ को अंगुल (उत्कल प्रान्त) में हुवा था। अंगुल से ही प्रारंभिक पढाई करने के पश्चात श्री गुप्ता ने कटकके रवेनशाव कालेज से वाणिज्य स्नातक की डिग्री प्राप्त की है। ऑटोमोबाइल व्यवसाय से जुड़े श्री गुप्ता उत्कल के व्यवसायीक क्षेत्र में एक जाना पहचाना नाम है।
सामाजिक कार्यो में इनकी रूचि हमेशा से ही रही है। सन १९८६-८७ में ये अपने कालेज के छात्र संघ के सचिव पड़ को संभाला था। मारवारी युवा मंच में इनका पदार्पण १९८६-८७ में हुवा। अंगुल शाखा के प्रथम मंत्री रहे श्री गुप्ता १९९१ में अंगुल शाखा के अध्यक्ष भी चुने गए। १९९४-९५ और १९९७-९८ में इन्होने शाखा मंत्री पद को फिर से सुशोभित किया। पुनः सन २००२-०३ में इन्होने अपनी गृह शाखा, अंगुल के शाखाध्यक्ष पद को सुशोभित किया। और अभी उत्कल प्रदेशीय मारवाडी युवा मंच के प्रांतीय अध्यक्ष हैं। प्रांतीय अध्यक्ष के रूप में इन्होने उत्कल प्रान्त में जिस तरह के और जिस तरह से कार्य संपादित किए हैं, उन्हें मंच इतिहास में हमेशा गर्व भरी दृष्टि से पढ़ा जाएगा, इसमे कोई संदेह नही है।
मारवाडी युवा मंच के अलावा इन्होने कई एक संस्थाओं के बिभिन्न पदों को सुशोभित किया है। इन संस्थाओं में FADDA , श्री गोपाल गौशाला, Angul District Chamber of Commerce and Industries आदि संस्थाओं का नाम प्रमुखता से लिया जा सकता है।
श्री जीतेंद्र गुप्ता का पता निम्नानुसार है:-
Gupta Automobiles
At: Panchmahala Chowk
Angul- 759122 (Orissa)
अजातशत्रु
(अन्य सभी उम्मीदवारों से सादर अनुरोध है कि वे भी अपना परिचय हमें भेजे ताकि इस ब्लॉग के मध्यम से मतदाताओं को उनके उम्मीदवारों को जानने का मौका मिले)
२५ दिसम्बर २००८ को रांची में हो रहे राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव हेतु एक उम्मीदवार है- श्री जीतेंद्र गुप्ता, जिन्हें अक्सर जीतू भाई के रूप में भी संबोधित किया जाता है। मृदु भाषी और कर्मठ मंचिस्ट श्री जीतेंद्र गुप्ता का परिचय यूँ दिया जा सकता है।
श्री जीतेंद्र गुप्ता का जन्म ६ जून १९६९ को अंगुल (उत्कल प्रान्त) में हुवा था। अंगुल से ही प्रारंभिक पढाई करने के पश्चात श्री गुप्ता ने कटकके रवेनशाव कालेज से वाणिज्य स्नातक की डिग्री प्राप्त की है। ऑटोमोबाइल व्यवसाय से जुड़े श्री गुप्ता उत्कल के व्यवसायीक क्षेत्र में एक जाना पहचाना नाम है।
सामाजिक कार्यो में इनकी रूचि हमेशा से ही रही है। सन १९८६-८७ में ये अपने कालेज के छात्र संघ के सचिव पड़ को संभाला था। मारवारी युवा मंच में इनका पदार्पण १९८६-८७ में हुवा। अंगुल शाखा के प्रथम मंत्री रहे श्री गुप्ता १९९१ में अंगुल शाखा के अध्यक्ष भी चुने गए। १९९४-९५ और १९९७-९८ में इन्होने शाखा मंत्री पद को फिर से सुशोभित किया। पुनः सन २००२-०३ में इन्होने अपनी गृह शाखा, अंगुल के शाखाध्यक्ष पद को सुशोभित किया। और अभी उत्कल प्रदेशीय मारवाडी युवा मंच के प्रांतीय अध्यक्ष हैं। प्रांतीय अध्यक्ष के रूप में इन्होने उत्कल प्रान्त में जिस तरह के और जिस तरह से कार्य संपादित किए हैं, उन्हें मंच इतिहास में हमेशा गर्व भरी दृष्टि से पढ़ा जाएगा, इसमे कोई संदेह नही है।
मारवाडी युवा मंच के अलावा इन्होने कई एक संस्थाओं के बिभिन्न पदों को सुशोभित किया है। इन संस्थाओं में FADDA , श्री गोपाल गौशाला, Angul District Chamber of Commerce and Industries आदि संस्थाओं का नाम प्रमुखता से लिया जा सकता है।
श्री जीतेंद्र गुप्ता का पता निम्नानुसार है:-
Gupta Automobiles
At: Panchmahala Chowk
Angul- 759122 (Orissa)
अजातशत्रु
(अन्य सभी उम्मीदवारों से सादर अनुरोध है कि वे भी अपना परिचय हमें भेजे ताकि इस ब्लॉग के मध्यम से मतदाताओं को उनके उम्मीदवारों को जानने का मौका मिले)
बुधवार, 10 दिसंबर 2008
जीतेंद्र जी गुप्ता गुवाहाटी में

जीतेंद्र जी गुप्ता गुवाहाटी में

मारवाड़ी युवा मंच की सार्थकता
विनोद लोहिया
मारवाड़ी युवा मंच की सार्थकता
विनोद लोहिया
www.mayum.com/ hack हो गयी है.
अजातशत्रु
www.mayum.com/ hack हो गयी है.
अजातशत्रु
मंगलवार, 9 दिसंबर 2008
बदबू को लोग नाक बन्द कर के लोग सुंघते हैं
आज हम कुछ नये विषय पर जाने का प्रयास करेगें। क्या आपके मन में कभी कोई ऐसी बात नहीं उठती की लोग आपको भी जाने-पहचाने या आपकी ख्याति सर्वत्र फैले। हम कई बार किसी मंच पर पुरस्कार भी लेने जाते हैं या किसी व्यक्ति ने हमें अपमानित भी किया होगा। इस दोनों प्रक्रिया के घटते वक्त हमारे मस्तिष्क पर जो संकेत उभरते हैं। इसका विश्लेषण करने का प्रयास करेगें कि किस प्रकार ये बातें हमारे जीवन में हमारे व्यक्तित्व को प्रभावित करती है।
हम क्या चाहते हैं:
- कोई आये और हमें अपमानित करके चला जाये।
- कोई आये सिर्फ अपनी बात करे और चला जाये।
- मंच पर खुद को स्थापित करें और मन में खुश हो जायें।
- मंच पर दूसरे को स्थापित देख कर मन में खुद को भी स्थापित होने की तमन्ना जगे।
- हम कहीं जायें तो सामने वाले पक्ष को अपने से नीचा समझने का प्रयास करें।
- हम कहीं जायें तो उस स्थान पर कुछ गंदगी करके मन में संतोष प्राप्त करें।
- हम यह तो माने की मेरी खुद की कृर्ति चारों तरफ फैले पर किसी दूसरे पक्ष की कृर्ति फ़ैलती हो तो मन ही मन हीन भावना को जन्म देना शुरू कर दें।
इसमें से कौन सी बात हमें अच्छी नहीं लगती। बस यह मान लें कि जो बात हमें अच्छी नहीं लगती वह किसी दूसरे को भी अच्छी नहीं लगती होगी और जो बातें हमें अच्छी लगती है वही बातें दूसरे को भी अच्छी लगती है। जिस दिन से आप इस प्रक्रिया को अपनाना शुरू कर देते हैं, उसी वक्त से चारों दिशाओं में आपका यश फैलने लगगा, जिसप्रकार:
"बदबू को लोग नाक बन्द कर के लोग सुंघते हैं और खुशबू को नाक खोलाकर। देखना हमको है कि हमारे व्यवहार से किस प्रकार की खुशबू निकलती है।"
कैसे होता है व्यक्तित्व विकास-8 जारी.....
पूरा लेख पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें
- शम्भु चौधरी, कोलकाता. फोन. 0-9831082737
बदबू को लोग नाक बन्द कर के लोग सुंघते हैं
आज हम कुछ नये विषय पर जाने का प्रयास करेगें। क्या आपके मन में कभी कोई ऐसी बात नहीं उठती की लोग आपको भी जाने-पहचाने या आपकी ख्याति सर्वत्र फैले। हम कई बार किसी मंच पर पुरस्कार भी लेने जाते हैं या किसी व्यक्ति ने हमें अपमानित भी किया होगा। इस दोनों प्रक्रिया के घटते वक्त हमारे मस्तिष्क पर जो संकेत उभरते हैं। इसका विश्लेषण करने का प्रयास करेगें कि किस प्रकार ये बातें हमारे जीवन में हमारे व्यक्तित्व को प्रभावित करती है।
हम क्या चाहते हैं:
- कोई आये और हमें अपमानित करके चला जाये।
- कोई आये सिर्फ अपनी बात करे और चला जाये।
- मंच पर खुद को स्थापित करें और मन में खुश हो जायें।
- मंच पर दूसरे को स्थापित देख कर मन में खुद को भी स्थापित होने की तमन्ना जगे।
- हम कहीं जायें तो सामने वाले पक्ष को अपने से नीचा समझने का प्रयास करें।
- हम कहीं जायें तो उस स्थान पर कुछ गंदगी करके मन में संतोष प्राप्त करें।
- हम यह तो माने की मेरी खुद की कृर्ति चारों तरफ फैले पर किसी दूसरे पक्ष की कृर्ति फ़ैलती हो तो मन ही मन हीन भावना को जन्म देना शुरू कर दें।
इसमें से कौन सी बात हमें अच्छी नहीं लगती। बस यह मान लें कि जो बात हमें अच्छी नहीं लगती वह किसी दूसरे को भी अच्छी नहीं लगती होगी और जो बातें हमें अच्छी लगती है वही बातें दूसरे को भी अच्छी लगती है। जिस दिन से आप इस प्रक्रिया को अपनाना शुरू कर देते हैं, उसी वक्त से चारों दिशाओं में आपका यश फैलने लगगा, जिसप्रकार:
"बदबू को लोग नाक बन्द कर के लोग सुंघते हैं और खुशबू को नाक खोलाकर। देखना हमको है कि हमारे व्यवहार से किस प्रकार की खुशबू निकलती है।"
कैसे होता है व्यक्तित्व विकास-8 जारी.....
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सभी उम्मीदवारों क परिचय
सुनने में आया है कि चुनाव हेतु प्राप्त नामांकन पत्रों की जांच प्रक्रिया पुरी कर ली गयी है। अच्छी ख़बर यह है कि चुनाव अधिकारी महोदय ने इस बार उम्मीदवारों को इस सम्बन्ध में सीधे पत्र भी भेजे हैं। चुनाव अधिकारी महोदय से अनुरोध है कि, सभी उम्मीदवारों क नाम सार्वजनिक करें ताकि सदस्य गण इस बिषय में विचार प्रक्रिया प्रारम्भ कर सके।
मुझे नहीं पता कि राष्ट्रीय अध्यक्ष जैसे महत्वपूर्ण पद के उम्मीदवार अपना bio-data मंच सदस्यों क सामने क्यों नही रखना चाहते? किस बात का डर है उन्हें या किस बात से परहेज कर रहे हैं वो? मेरी समझ में यह नही आ रहा है कि बिना उम्मीदवारों को सही ढंग से जाने मतदाता किस प्रकार अपना नेता चुनेंगे? कहीं उम्मीदवार इस भ्रम में तो नहीं कि सारी शाखाएं और सारे सदस्य उन उम्मीदवारों को पहले से ही जानते है और अलग से परिचय की कोई आवश्यकता नहीं?
सभी गंभीर उम्मीदवारों से अनुरोध है कि कृपया गणतंत्र का सम्मान करें, अपना परिचय मतदाताओं को दें। बदलते समय क पदचाप को पहचानने की आवश्यकता है।
हम इस ब्लॉग में सभी उम्मीदवारों क परिचय आमंत्रित करते हैं।
अजातशत्रु
सभी उम्मीदवारों क परिचय
सुनने में आया है कि चुनाव हेतु प्राप्त नामांकन पत्रों की जांच प्रक्रिया पुरी कर ली गयी है। अच्छी ख़बर यह है कि चुनाव अधिकारी महोदय ने इस बार उम्मीदवारों को इस सम्बन्ध में सीधे पत्र भी भेजे हैं। चुनाव अधिकारी महोदय से अनुरोध है कि, सभी उम्मीदवारों क नाम सार्वजनिक करें ताकि सदस्य गण इस बिषय में विचार प्रक्रिया प्रारम्भ कर सके।
मुझे नहीं पता कि राष्ट्रीय अध्यक्ष जैसे महत्वपूर्ण पद के उम्मीदवार अपना bio-data मंच सदस्यों क सामने क्यों नही रखना चाहते? किस बात का डर है उन्हें या किस बात से परहेज कर रहे हैं वो? मेरी समझ में यह नही आ रहा है कि बिना उम्मीदवारों को सही ढंग से जाने मतदाता किस प्रकार अपना नेता चुनेंगे? कहीं उम्मीदवार इस भ्रम में तो नहीं कि सारी शाखाएं और सारे सदस्य उन उम्मीदवारों को पहले से ही जानते है और अलग से परिचय की कोई आवश्यकता नहीं?
सभी गंभीर उम्मीदवारों से अनुरोध है कि कृपया गणतंत्र का सम्मान करें, अपना परिचय मतदाताओं को दें। बदलते समय क पदचाप को पहचानने की आवश्यकता है।
हम इस ब्लॉग में सभी उम्मीदवारों क परिचय आमंत्रित करते हैं।
अजातशत्रु
सोमवार, 8 दिसंबर 2008
बस एक सपने की जरुरत है........
है न कमाल की बात। ये कुछ उत्तेजित लम्हे है, किसी भी युवा मंच के सदस्यो के लिए, या यु कहिये युवाओ के लिए। यह एक ऐसा मौका है, जिसको हमे यु ही जाया नही होने देना है। जिन लोगो ने ब्लॉग पर लिखना शुरु किया है, वे मंच के सच्चे सिपाही है, और जो लोग इस ब्लॉग को विजिट कर रहे है, वे भी मंच के हितेषी है। कई ऐसे सदस्य है, लिखना तो चाहते है, पर किसी कारण वस् नही लिख रहे है, ऐसे लोगो से विनती करूँगा कि वेह अपनी टिपण्णी इस ब्लॉग पर छपने वाले लेखो पर जरुर करे, जिससे कई लेखको को प्रोत्शाहन मिलेंगा। यह बात भी अपनी जगह दुरुशत है कि अगर नए लेखक नही भी जुड़ते है, तब भी यह ब्लॉग तो यु ही चलता रहेगा, यह मेरा वादा है। जो लोग किसी कारण से विजिट कर रहे है, पर किसी अन्य कारण से लिखने में हिचकचा रहे है, उनको मेरी सलाह रहेंगी , कि वे अपने अंदर की आवाज को मेल के द्वारा कह डाले, नही तो हो सकता है कि वहुत देर हो जाए। आज की दुनिया में अपनी बात को एक्सप्रेस करने के बहुत साधन है, ब्लॉग तो अभी शुरु हुवा है, हम आगे यह भी आशा कर सकते है कि, हम एक डाटा बैंक बनाये, वेबसाइट चलाये, अखबार निकले, शैक्षणिक प्रतिष्टांन खोले, वाणिज्य एवं व्यापार कोउन्सेल्लिंग शुरु करें, रोजगार केन्द्र बनाए और व्यक्ति विकाश के कई ऐसे आयाम स्थापित करें , जिससे हमारे युवाओ को बड़े डोनेशन दे कर बड़े शैक्षणिक संस्थानों में भरती नही होना पड़े। यह सभी अभी एक ड्रीम प्रोजेक्ट हो सकते है, पर अगर हम सोंचेगे नही तो फिर करेंगे कैसे। देश में पच्चीस हजार युवाओ वाली संस्था के लिए सब कुछ सम्भव है, बस एक सपने की जरुरत है, एक प्रोत्शाहन की जरुरत है।
रवि अजितसरिया,
गुवाहाटी
बस एक सपने की जरुरत है........
है न कमाल की बात। ये कुछ उत्तेजित लम्हे है, किसी भी युवा मंच के सदस्यो के लिए, या यु कहिये युवाओ के लिए। यह एक ऐसा मौका है, जिसको हमे यु ही जाया नही होने देना है। जिन लोगो ने ब्लॉग पर लिखना शुरु किया है, वे मंच के सच्चे सिपाही है, और जो लोग इस ब्लॉग को विजिट कर रहे है, वे भी मंच के हितेषी है। कई ऐसे सदस्य है, लिखना तो चाहते है, पर किसी कारण वस् नही लिख रहे है, ऐसे लोगो से विनती करूँगा कि वेह अपनी टिपण्णी इस ब्लॉग पर छपने वाले लेखो पर जरुर करे, जिससे कई लेखको को प्रोत्शाहन मिलेंगा। यह बात भी अपनी जगह दुरुशत है कि अगर नए लेखक नही भी जुड़ते है, तब भी यह ब्लॉग तो यु ही चलता रहेगा, यह मेरा वादा है। जो लोग किसी कारण से विजिट कर रहे है, पर किसी अन्य कारण से लिखने में हिचकचा रहे है, उनको मेरी सलाह रहेंगी , कि वे अपने अंदर की आवाज को मेल के द्वारा कह डाले, नही तो हो सकता है कि वहुत देर हो जाए। आज की दुनिया में अपनी बात को एक्सप्रेस करने के बहुत साधन है, ब्लॉग तो अभी शुरु हुवा है, हम आगे यह भी आशा कर सकते है कि, हम एक डाटा बैंक बनाये, वेबसाइट चलाये, अखबार निकले, शैक्षणिक प्रतिष्टांन खोले, वाणिज्य एवं व्यापार कोउन्सेल्लिंग शुरु करें, रोजगार केन्द्र बनाए और व्यक्ति विकाश के कई ऐसे आयाम स्थापित करें , जिससे हमारे युवाओ को बड़े डोनेशन दे कर बड़े शैक्षणिक संस्थानों में भरती नही होना पड़े। यह सभी अभी एक ड्रीम प्रोजेक्ट हो सकते है, पर अगर हम सोंचेगे नही तो फिर करेंगे कैसे। देश में पच्चीस हजार युवाओ वाली संस्था के लिए सब कुछ सम्भव है, बस एक सपने की जरुरत है, एक प्रोत्शाहन की जरुरत है।
रवि अजितसरिया,
गुवाहाटी
रविवार, 7 दिसंबर 2008
क्रोध का प्रयोग दिमाग से करें
जिस तरह हमने ऊपर देखा की क्रोध को एक अन्य गुलदस्ते में डाल दिया गया, ठीक इसी तरह हमारे जीवन में भी कई बातें गुजरती है। ऎसा नहीं कि क्रोध का हमारे जीवन में कोई अस्तित्व ही नहीं हो, पर क्रोध की भाषा को हमने कभी स्वीकार नहीं किया। आज हम इस दो पहलुओं को अलग-अलग तरीके से देखने का प्रयास करेंगें।
पहला: ऊपर के चार गुलदस्ते की तरह हम अपने जीवन के पक्ष को देखेंगें।
दूसरा: क्रोध जीवन का जरूरी हिस्सा कैसे बन सकता है।
आम जीवन में जब हम किसी व्यक्ति के विचार से सहमत नहीं रहते तो उस व्यक्ति को या तो हम अलग कर देते हैं या खुद को उस समुह से अलग कर लेते हैं यही मानसिकता के लोग संस्था में भी कुछ इसी तरह का व्यवहार करने लगते हैं। कुछ हद तक यह वर्ताव उनके खुद के लिये तो सही माना जा सकता है पर संस्था के लिये इस तरह का व्यवहार किसी भी रूप में सही नहीं हो सकता। इसी बात की विवेचना आज हम यहाँ पर करते हैं।
यहाँ क्रोध के स्वरूप को ही हम एक व्यक्ति मान लेते हैं।
हमने देखा कि क्रोधरूपी व्यक्ति न तो मस्तिष्क भाग में, न ही भोजन भाग में और न ही श्रम के भाग में समा पाया। इसका अर्थ यह नहीं हुआ कि उसे जीवन से हम अलग कर दें। मैंने यह भी लिखा कि क्रोध का एक पक्ष जो हम देखते हैं सिर्फ वही नहीं होता, क्रोध कई बार हमारे जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा बनकर अपनी उत्तरदायित्वों को काफी सावधानी से निभाना भी जानता है। बस थोड़ा सा हमें इसके प्रयोग में सावधानी रखनी पड़ती है।
मसलन क्रोध का प्रयोग दिमाग से करें।
जैसे किसी बच्चे पर जब माँ क्रोधित होती है तो उसमें स्नेह-ममता की झलक भी झलकती है। जब हम किसी क्रमचारी के ऊपर क्रोध करते हैं तो उसमें हमारे कार्य को पूरा करने का लक्ष्य छिपा रहता है। ठीक इसी प्रकार जब हम किसी युवा बच्चों पर वेवजह क्रोधित होने लगते हैं तो उसमें उसके भविष्य कि चिन्ता हमें सताती रहती है। परन्तु इन क्रोध से हमारे ऊपर के तीनों गुलदस्ते किसी भी रूप में प्रभावित नहीं होते। कहने का सीधा सा अर्थ यह है कि जहर जीवन का रक्षक बन सकता है जरूरत है हमें उसके उपयोग करने की विधि का ज्ञान हो।
कैसे होता है व्यक्तित्व विकास-7 जारी.....
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- शम्भु चौधरी, कोलकाता. फोन. 0-9831082737
क्रोध का प्रयोग दिमाग से करें
जिस तरह हमने ऊपर देखा की क्रोध को एक अन्य गुलदस्ते में डाल दिया गया, ठीक इसी तरह हमारे जीवन में भी कई बातें गुजरती है। ऎसा नहीं कि क्रोध का हमारे जीवन में कोई अस्तित्व ही नहीं हो, पर क्रोध की भाषा को हमने कभी स्वीकार नहीं किया। आज हम इस दो पहलुओं को अलग-अलग तरीके से देखने का प्रयास करेंगें।
पहला: ऊपर के चार गुलदस्ते की तरह हम अपने जीवन के पक्ष को देखेंगें।
दूसरा: क्रोध जीवन का जरूरी हिस्सा कैसे बन सकता है।
आम जीवन में जब हम किसी व्यक्ति के विचार से सहमत नहीं रहते तो उस व्यक्ति को या तो हम अलग कर देते हैं या खुद को उस समुह से अलग कर लेते हैं यही मानसिकता के लोग संस्था में भी कुछ इसी तरह का व्यवहार करने लगते हैं। कुछ हद तक यह वर्ताव उनके खुद के लिये तो सही माना जा सकता है पर संस्था के लिये इस तरह का व्यवहार किसी भी रूप में सही नहीं हो सकता। इसी बात की विवेचना आज हम यहाँ पर करते हैं।
यहाँ क्रोध के स्वरूप को ही हम एक व्यक्ति मान लेते हैं।
हमने देखा कि क्रोधरूपी व्यक्ति न तो मस्तिष्क भाग में, न ही भोजन भाग में और न ही श्रम के भाग में समा पाया। इसका अर्थ यह नहीं हुआ कि उसे जीवन से हम अलग कर दें। मैंने यह भी लिखा कि क्रोध का एक पक्ष जो हम देखते हैं सिर्फ वही नहीं होता, क्रोध कई बार हमारे जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा बनकर अपनी उत्तरदायित्वों को काफी सावधानी से निभाना भी जानता है। बस थोड़ा सा हमें इसके प्रयोग में सावधानी रखनी पड़ती है।
मसलन क्रोध का प्रयोग दिमाग से करें।
जैसे किसी बच्चे पर जब माँ क्रोधित होती है तो उसमें स्नेह-ममता की झलक भी झलकती है। जब हम किसी क्रमचारी के ऊपर क्रोध करते हैं तो उसमें हमारे कार्य को पूरा करने का लक्ष्य छिपा रहता है। ठीक इसी प्रकार जब हम किसी युवा बच्चों पर वेवजह क्रोधित होने लगते हैं तो उसमें उसके भविष्य कि चिन्ता हमें सताती रहती है। परन्तु इन क्रोध से हमारे ऊपर के तीनों गुलदस्ते किसी भी रूप में प्रभावित नहीं होते। कहने का सीधा सा अर्थ यह है कि जहर जीवन का रक्षक बन सकता है जरूरत है हमें उसके उपयोग करने की विधि का ज्ञान हो।
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शनिवार, 6 दिसंबर 2008
राष्ट्रीय सभा सदस्य- PURBOTTAR
पूर्वोत्तर प्रान्त से राष्ट्रीय सभा सदस्यों की सूचि देखना चाहें तो क्लिक करें।
रांची में होने वाले राष्ट्रीय अधिवेशन की प्रस्तावित कार्यक्रम सूचि यहाँ देखेंअजातशत्रु
राष्ट्रीय सभा सदस्य- PURBOTTAR
पूर्वोत्तर प्रान्त से राष्ट्रीय सभा सदस्यों की सूचि देखना चाहें तो क्लिक करें।
रांची में होने वाले राष्ट्रीय अधिवेशन की प्रस्तावित कार्यक्रम सूचि यहाँ देखेंअजातशत्रु
राष्ट्रीय अधिवेशनों की जरुरत क्यो ?
रवि अजितसरिया
गुवाहाटी
राष्ट्रीय अधिवेशनों की जरुरत क्यो ?
रवि अजितसरिया
गुवाहाटी
कैसे होता है व्यक्तित्व विकास-5
श्वास लेने की शक्ति, अनुभव करने की शक्ति, काम(work) करने की शक्ति, चलने की शक्ति और सृष्टि निर्माण की शक्ति इन पाँचों को भी एक गुलदस्ते में सजा लेते हैं इसके बाद हमारे पास एक शक्ति और बच जाती है जो कि क्रोध करने की शक्ति है। हम इस शक्ति को किसी भी गुलदस्ते में सजाने में अपने आपको असफल पाते हैं। आप इस शक्ति को किस गुलदस्ते के लिये उपयुक्त मानते हैं ?
अबतक हमने तीन गुलदस्ते सजाये इन तीनों गुलदस्ते को नाम दे दें ताकी आगे बात करने में आसानी रहेगी।
पहला गुलदस्ता: मस्तिष्क भाग
सुनने, देखने, बोलने, सोचने और याद रखने की शक्ति
दूसरा गुलदस्ता: तृप्ति भाग
खाने की शक्ति, स्वाद(Test) प्राप्त करने की शक्ति, सुगंध खिचने की शक्ति
तीसरा गुलदस्ता: श्रम भाग
श्वास लेने की शक्ति, अनुभव करने की शक्ति, काम(work) करने की शक्ति, चलने की शक्ति और सृष्टि निर्माण की शक्ति
चौथा गुलदस्ता: अन्य भाग
क्रोध करने की शक्ति को एक बार इसी गुलदस्ते में सजा देते हैं।
अब हमें यह करना है कि ऊपर से किसी एक या दो क्रिया को इस चौथे गुलदस्ते में सजाना है या फिर इस गुलदस्ते के फूल को किसी और गुलदस्ते में ले जाने का प्रयास करते है। पर ध्यान रहे कि इस प्रक्रिया को करते वक्त जब आप श्रम भाग में क्रोध को ले जायें तो आपके दूसरे विभाग अर्थात- मस्तिष्क और तृप्ति भाग को कोई क्षति नहीं होनी चाहिये।
कहने का अर्थ है कि आप जब श्रम करते वक्त क्रोध को साथ ले लेते हैं तो आपके सोचने,देखने, खाने की प्रकिया में कोई व्यवधान नहीं होना चाहिये।
चलिये आज से आप और हम इस प्रयोग को करके देखतें हैं कि क्रोध की शक्ति को किस हिस्से में रखा जाना ठीक रहेगा।
कैसे होता है व्यक्तित्व विकास-6 जारी.....
पूरा लेख पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें
- शम्भु चौधरी, कोलकाता. फोन. 0-9831082737
कैसे होता है व्यक्तित्व विकास-5
श्वास लेने की शक्ति, अनुभव करने की शक्ति, काम(work) करने की शक्ति, चलने की शक्ति और सृष्टि निर्माण की शक्ति इन पाँचों को भी एक गुलदस्ते में सजा लेते हैं इसके बाद हमारे पास एक शक्ति और बच जाती है जो कि क्रोध करने की शक्ति है। हम इस शक्ति को किसी भी गुलदस्ते में सजाने में अपने आपको असफल पाते हैं। आप इस शक्ति को किस गुलदस्ते के लिये उपयुक्त मानते हैं ?
अबतक हमने तीन गुलदस्ते सजाये इन तीनों गुलदस्ते को नाम दे दें ताकी आगे बात करने में आसानी रहेगी।
पहला गुलदस्ता: मस्तिष्क भाग
सुनने, देखने, बोलने, सोचने और याद रखने की शक्ति
दूसरा गुलदस्ता: तृप्ति भाग
खाने की शक्ति, स्वाद(Test) प्राप्त करने की शक्ति, सुगंध खिचने की शक्ति
तीसरा गुलदस्ता: श्रम भाग
श्वास लेने की शक्ति, अनुभव करने की शक्ति, काम(work) करने की शक्ति, चलने की शक्ति और सृष्टि निर्माण की शक्ति
चौथा गुलदस्ता: अन्य भाग
क्रोध करने की शक्ति को एक बार इसी गुलदस्ते में सजा देते हैं।
अब हमें यह करना है कि ऊपर से किसी एक या दो क्रिया को इस चौथे गुलदस्ते में सजाना है या फिर इस गुलदस्ते के फूल को किसी और गुलदस्ते में ले जाने का प्रयास करते है। पर ध्यान रहे कि इस प्रक्रिया को करते वक्त जब आप श्रम भाग में क्रोध को ले जायें तो आपके दूसरे विभाग अर्थात- मस्तिष्क और तृप्ति भाग को कोई क्षति नहीं होनी चाहिये।
कहने का अर्थ है कि आप जब श्रम करते वक्त क्रोध को साथ ले लेते हैं तो आपके सोचने,देखने, खाने की प्रकिया में कोई व्यवधान नहीं होना चाहिये।
चलिये आज से आप और हम इस प्रयोग को करके देखतें हैं कि क्रोध की शक्ति को किस हिस्से में रखा जाना ठीक रहेगा।
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शुक्रवार, 5 दिसंबर 2008
यह ब्लॉग अजातशत्रु का नही है.
बिगत १५० घंटो मैं इस ब्लॉग पर अनुपस्थित रहा। पर ब्लॉग की रफ़्तार या ब्लॉग के तेवर में कोई भी फर्क नहीं आया। क्या यह इस बात को स्थापित नहीं करता कि यह ब्लॉग अजातशत्रु का नहीं है बल्कि हर एक उस मंच प्रेमी का है जो इस ब्लॉग को अपनाना चाहता है?
जो लोग अजातशत्रु के छद्मनाम या काल्पनिक व हास्यस्पद आशंकाओं का बहाना बनाकर इस ब्लॉग का विरोध कर रहे हैं, उनसे मेरा पुनः अनुरोध है कि इस संवाद सूत्र का विरोध करने के वजय इसे समर्थन दे। इस ब्लॉग का हर एक लेखक और समर्थक मंच प्रेमी है और मंच प्रेमी कभी मंच का बुरा नही चाहेंगें। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मार्ग अवरूद्ध न करें, बल्कि प्रोत्साहन दें
हमारे आने पे परेशां न हो गुंचो,
हम बाग़ लगाया करते हैं, उजाडा नहीं करतें।
अजातशत्रु
यह ब्लॉग अजातशत्रु का नही है.
बिगत १५० घंटो मैं इस ब्लॉग पर अनुपस्थित रहा। पर ब्लॉग की रफ़्तार या ब्लॉग के तेवर में कोई भी फर्क नहीं आया। क्या यह इस बात को स्थापित नहीं करता कि यह ब्लॉग अजातशत्रु का नहीं है बल्कि हर एक उस मंच प्रेमी का है जो इस ब्लॉग को अपनाना चाहता है?
जो लोग अजातशत्रु के छद्मनाम या काल्पनिक व हास्यस्पद आशंकाओं का बहाना बनाकर इस ब्लॉग का विरोध कर रहे हैं, उनसे मेरा पुनः अनुरोध है कि इस संवाद सूत्र का विरोध करने के वजय इसे समर्थन दे। इस ब्लॉग का हर एक लेखक और समर्थक मंच प्रेमी है और मंच प्रेमी कभी मंच का बुरा नही चाहेंगें। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मार्ग अवरूद्ध न करें, बल्कि प्रोत्साहन दें
हमारे आने पे परेशां न हो गुंचो,
हम बाग़ लगाया करते हैं, उजाडा नहीं करतें।
अजातशत्रु
क्या इन्ही लाशों पर मेरा देश महान बनेगा...?
क्या इन्ही लाशों पर मेरा देश महान बनेगा...?
गुरुवार, 4 दिसंबर 2008
कैसे होता है व्यक्तित्व विकास-4
हम जब किसी आईनें के सामने खड़े होते हैं तो उस वक्त क्या सोचते और देखते हैं। निश्चय ही आप आपने चहरे को निहारते और अपनी सौंदर्यता की बात को सोचते होंगें। क्या उस वक्त आप रोटी खाने की बात को नहीं सोच सकते? या फिर किसी व्यापार की बात। पर ऐसा नहीं होता, लेकिन जैसे ही हम भगवान की अर्चना करते हैं उस वक्त सारे झल-कपट ध्यान में आने लगते हैं। भगवान से अपने पापों की मुक्ति का आश्वासन लेने में लग जाते हैं। गंगा में स्नान करते वक्त भी हमारे संस्कार किये पापों से हमें मुक्त करा देता है। जब यह सब संभव हो सकता है तो हमारे सोच में थोड़ा परिवर्तन ला दिया जाय तो हम अपने व्यक्तित्व को भी बदल सकते हैं। पर इसके लिये हीरे-मोती की माला पहनने से नहीं हो सकता, इसके लिए आपको हीरे-मोती जैसे शब्दों के अमूल्य भंडार को पढ़ने की आदत डालनी होगी। कई बार सत्संग के प्रभाव हमारे जीवन में काफी महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर जाती है। हमें पढ़ने का अवसर नहीं मिलता इसलिये सुनकर मस्तिष्क का विकास हम करते हैं। वास्तव में यही मूलभूत बातें होती हैं जो हमें अपने जीवन को सुधारने का अवसर प्रदान करती है।
एक बार एक नास्तिक व्यक्ति से मेरी मुलाकत हुई, उसने कहा कि वह किसी भी ईश्वरिय शक्ति में विश्वास नहीं करता। मैंने भी उसकी बात पर अपनी सहमती जताते हुए उससे पुछा कि आप अपनी माँ को तो मान करते ही होंगे। उन्होंने जबाब में कहा अरे साहब! ये भी कोई पुछने की बात है। जिस माँ ने मुझे नो महिने पेट में रख कर अपने खून से मेरा भरण-पोषण किया, फिर आपने दूध से मुझे पाला उसे कैसे भूला जा सकता है। उसने बड़े गर्व से यह भी बताया कि वे रोजना माँ की पूजा करते और उनसे आशीर्वाद भी लेते हैं। तब मैंने बात को थोड़ा और आगे बढ़या उनसे पुछा कि जो माँ आपको नो माह अपने गर्व में रखती है उसके प्रति सम्मान होना गलत तो नहीं है।
उनका जबाब था - बिलकुल भी नहीं। बल्की जो व्यक्ति ऐसा नहीं करता वो समाज में रहने योग्य नहीं है।
इस नास्तिक विचारधारा को मानने वाले व्यक्ति के मन में माँ के प्रति श्रद्धा देखकर मेरे मन में भी एक आशा के दीप जल उठा, सोचा क्यों न आज इस नास्तिक विचार को बदल डालूँ।
मेरे मन में सवाल यह था कि इसे कहना क्या होगा जिससे इसके नास्तिक विचारों को बदला जा सके। वह भी एक ही पल में।
क्या आपके पास कोई सूझाव है जिसे सुनने से इस नास्तिक व्यक्ति के विचार को एक ही पल में बदला जा सके। कहने का अर्थ है कि वो आपकी बात को सुनकर ईश्वर में विश्वास करने लगे।
कैसे होता है व्यक्तित्व विकास-5 जारी......
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- शम्भु चौधरी, कोलकाता. फोन. 0-9831082737
कैसे होता है व्यक्तित्व विकास-4
हम जब किसी आईनें के सामने खड़े होते हैं तो उस वक्त क्या सोचते और देखते हैं। निश्चय ही आप आपने चहरे को निहारते और अपनी सौंदर्यता की बात को सोचते होंगें। क्या उस वक्त आप रोटी खाने की बात को नहीं सोच सकते? या फिर किसी व्यापार की बात। पर ऐसा नहीं होता, लेकिन जैसे ही हम भगवान की अर्चना करते हैं उस वक्त सारे झल-कपट ध्यान में आने लगते हैं। भगवान से अपने पापों की मुक्ति का आश्वासन लेने में लग जाते हैं। गंगा में स्नान करते वक्त भी हमारे संस्कार किये पापों से हमें मुक्त करा देता है। जब यह सब संभव हो सकता है तो हमारे सोच में थोड़ा परिवर्तन ला दिया जाय तो हम अपने व्यक्तित्व को भी बदल सकते हैं। पर इसके लिये हीरे-मोती की माला पहनने से नहीं हो सकता, इसके लिए आपको हीरे-मोती जैसे शब्दों के अमूल्य भंडार को पढ़ने की आदत डालनी होगी। कई बार सत्संग के प्रभाव हमारे जीवन में काफी महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर जाती है। हमें पढ़ने का अवसर नहीं मिलता इसलिये सुनकर मस्तिष्क का विकास हम करते हैं। वास्तव में यही मूलभूत बातें होती हैं जो हमें अपने जीवन को सुधारने का अवसर प्रदान करती है।
एक बार एक नास्तिक व्यक्ति से मेरी मुलाकत हुई, उसने कहा कि वह किसी भी ईश्वरिय शक्ति में विश्वास नहीं करता। मैंने भी उसकी बात पर अपनी सहमती जताते हुए उससे पुछा कि आप अपनी माँ को तो मान करते ही होंगे। उन्होंने जबाब में कहा अरे साहब! ये भी कोई पुछने की बात है। जिस माँ ने मुझे नो महिने पेट में रख कर अपने खून से मेरा भरण-पोषण किया, फिर आपने दूध से मुझे पाला उसे कैसे भूला जा सकता है। उसने बड़े गर्व से यह भी बताया कि वे रोजना माँ की पूजा करते और उनसे आशीर्वाद भी लेते हैं। तब मैंने बात को थोड़ा और आगे बढ़या उनसे पुछा कि जो माँ आपको नो माह अपने गर्व में रखती है उसके प्रति सम्मान होना गलत तो नहीं है।
उनका जबाब था - बिलकुल भी नहीं। बल्की जो व्यक्ति ऐसा नहीं करता वो समाज में रहने योग्य नहीं है।
इस नास्तिक विचारधारा को मानने वाले व्यक्ति के मन में माँ के प्रति श्रद्धा देखकर मेरे मन में भी एक आशा के दीप जल उठा, सोचा क्यों न आज इस नास्तिक विचार को बदल डालूँ।
मेरे मन में सवाल यह था कि इसे कहना क्या होगा जिससे इसके नास्तिक विचारों को बदला जा सके। वह भी एक ही पल में।
क्या आपके पास कोई सूझाव है जिसे सुनने से इस नास्तिक व्यक्ति के विचार को एक ही पल में बदला जा सके। कहने का अर्थ है कि वो आपकी बात को सुनकर ईश्वर में विश्वास करने लगे।
कैसे होता है व्यक्तित्व विकास-5 जारी......
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- शम्भु चौधरी, कोलकाता. फोन. 0-9831082737
व्यावसायिक सुचना डायरेक्ट्री.....
वो है अखिल भारतीय मारवाडी युवा मंच के सभी सदस्यों की व्यावसायिक सुचना डायरेक्ट्री
पूर्व में इसपे काम भी हुआ है और शायद कुछ अंक प्रकाशित भी हुए हैं, जिनमे से 2004 में प्रकाशित एक अंक मेरे पास भी है, परन्तु ये पुस्तिका अधूरी है, और जो सदस्य संख्या उसमे वर्णित है वो वास्तविक से काफी कम है, मेरे विचार से ये डायरेक्टरी मंच विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगी और इससे हमारे अलग - अलग शाखाओं के सदस्यों के बीच एक अलग सम्बन्ध भी कायम होगा जो की मंच को एक वृहत रूप प्रदान करेगा
इसे निशुल्क या कुछ शुल्क के साथ भी सभी सदस्यों को उपलब्ध करवाया जा सकता है ।
सुमित चमडिया
मुजफ्फरपुर
मोबाइल - 9431238161
व्यावसायिक सुचना डायरेक्ट्री.....
वो है अखिल भारतीय मारवाडी युवा मंच के सभी सदस्यों की व्यावसायिक सुचना डायरेक्ट्री
पूर्व में इसपे काम भी हुआ है और शायद कुछ अंक प्रकाशित भी हुए हैं, जिनमे से 2004 में प्रकाशित एक अंक मेरे पास भी है, परन्तु ये पुस्तिका अधूरी है, और जो सदस्य संख्या उसमे वर्णित है वो वास्तविक से काफी कम है, मेरे विचार से ये डायरेक्टरी मंच विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगी और इससे हमारे अलग - अलग शाखाओं के सदस्यों के बीच एक अलग सम्बन्ध भी कायम होगा जो की मंच को एक वृहत रूप प्रदान करेगा
इसे निशुल्क या कुछ शुल्क के साथ भी सभी सदस्यों को उपलब्ध करवाया जा सकता है ।
सुमित चमडिया
मुजफ्फरपुर
मोबाइल - 9431238161
बुधवार, 3 दिसंबर 2008
कैसे होता है व्यक्तित्व विकास-3
कई बार जब किसी दुविधा में खुद को पाते हैं तो आम भाषा में हम यह बात कहते पायें जाते हैं "अब 'जी' कर क्या करेंगें।" दोस्तों क्या जीना इसी का नाम है। रात आने का अर्थ अंधेरा नहीं होता, रात का अर्थ है परिश्रम, जीवन को रोशन बनाने का एक अवसर जिसे हम सोकर गुजार देते हैं। हमको ईश्वर ने वे सभी अवसर प्रदान किये हैं जिसका हम उपयोग कर सकते हैं, यदि हम इसका उपयोग नहीं कर पाते तो दोष देने का बहाना खोज लेते हैं। आपके और हमारे पास जीने के कितने अवसर हैं कभी हमने इसकी चिन्ता नहीं की, पर हम चिन्ता इस बात की करते हैं जो हमें निराशा की तरफ धकेलता रहता है। कल हमने एक गुलदस्ता सजाया था, क्या आप अपने जीवन में नये गलदस्ते नहीं बनाना चाहेंगें? स्वभाविक है कुछ निराशावादी तत्त्व इस बात को यह कहकर आगे बढ़ जायेंगें कि इन बातों का जीवन से क्या लेना-देना। भला जीवन को भी किसी ने गुलदस्ता बनाया है।
जी! यही बात मैं भी कह रहा हूँ। यदि वही पुरानी बातें जो अबतक आप दूसरों को पढ़ते रहें हैं लिखा जाय तो मेरे सोच में नयापन नहीं रहेगा। नयापन तभी संभव है जब आप दूसरों की बातों को देखें, सुने और पढ़ें पर लिखते वक्त अपने दिमाग के दरवाजे खोल दें। नई हवा का प्रवेश होने दें, बन्द दरवाजे से नई बातें कभी नहीं उभर सकती। नई उर्जा के स्त्रोत तलाशते रहें। शरीर के अन्दर की उर्जा को उपयोगी कार्य में लगायें न कि उनको व्यर्थ जाने दें।
ऊपर की तरह हम एक ओर गुलदस्ता यहाँ बनाने का प्रयास करतें हैं
खाने की शक्ति, स्वाद(Test) प्राप्त करने की शक्ति, सुगंध खिचने की शक्ति।
खाने अर्थात भोजन करना, भोजन से ही स्वाद और सुगंध की प्रक्रिया जुड़ी रहती है। अर्थात ऊपर के गुलदस्ते से कोई एक फ़ूल इस गुलदस्ते में सजाये वैगर इस क्रिया का संपादन किया जा सकता है। लेकिन हम क्या करते हैं? खाते वक्त वेबात बोलते रहतें हैं, वेमतलब सोचते रहतें हैं, भोजन न देख अन्य किसी दूसरी तरफ देखते रहतें हैं इसी प्रकार अन्य क्रियाओं को भी करते रहतें हैं जो कि कोई जरूरी नहीं रहता।
कैसे होता है व्यक्तित्व विकास-4 जारी......
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- शम्भु चौधरी, कोलकाता. फोन. 0-9831082737
कैसे होता है व्यक्तित्व विकास-3
कई बार जब किसी दुविधा में खुद को पाते हैं तो आम भाषा में हम यह बात कहते पायें जाते हैं "अब 'जी' कर क्या करेंगें।" दोस्तों क्या जीना इसी का नाम है। रात आने का अर्थ अंधेरा नहीं होता, रात का अर्थ है परिश्रम, जीवन को रोशन बनाने का एक अवसर जिसे हम सोकर गुजार देते हैं। हमको ईश्वर ने वे सभी अवसर प्रदान किये हैं जिसका हम उपयोग कर सकते हैं, यदि हम इसका उपयोग नहीं कर पाते तो दोष देने का बहाना खोज लेते हैं। आपके और हमारे पास जीने के कितने अवसर हैं कभी हमने इसकी चिन्ता नहीं की, पर हम चिन्ता इस बात की करते हैं जो हमें निराशा की तरफ धकेलता रहता है। कल हमने एक गुलदस्ता सजाया था, क्या आप अपने जीवन में नये गलदस्ते नहीं बनाना चाहेंगें? स्वभाविक है कुछ निराशावादी तत्त्व इस बात को यह कहकर आगे बढ़ जायेंगें कि इन बातों का जीवन से क्या लेना-देना। भला जीवन को भी किसी ने गुलदस्ता बनाया है।
जी! यही बात मैं भी कह रहा हूँ। यदि वही पुरानी बातें जो अबतक आप दूसरों को पढ़ते रहें हैं लिखा जाय तो मेरे सोच में नयापन नहीं रहेगा। नयापन तभी संभव है जब आप दूसरों की बातों को देखें, सुने और पढ़ें पर लिखते वक्त अपने दिमाग के दरवाजे खोल दें। नई हवा का प्रवेश होने दें, बन्द दरवाजे से नई बातें कभी नहीं उभर सकती। नई उर्जा के स्त्रोत तलाशते रहें। शरीर के अन्दर की उर्जा को उपयोगी कार्य में लगायें न कि उनको व्यर्थ जाने दें।
ऊपर की तरह हम एक ओर गुलदस्ता यहाँ बनाने का प्रयास करतें हैं
खाने की शक्ति, स्वाद(Test) प्राप्त करने की शक्ति, सुगंध खिचने की शक्ति।
खाने अर्थात भोजन करना, भोजन से ही स्वाद और सुगंध की प्रक्रिया जुड़ी रहती है। अर्थात ऊपर के गुलदस्ते से कोई एक फ़ूल इस गुलदस्ते में सजाये वैगर इस क्रिया का संपादन किया जा सकता है। लेकिन हम क्या करते हैं? खाते वक्त वेबात बोलते रहतें हैं, वेमतलब सोचते रहतें हैं, भोजन न देख अन्य किसी दूसरी तरफ देखते रहतें हैं इसी प्रकार अन्य क्रियाओं को भी करते रहतें हैं जो कि कोई जरूरी नहीं रहता।
कैसे होता है व्यक्तित्व विकास-4 जारी......
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- शम्भु चौधरी, कोलकाता. फोन. 0-9831082737
हमें अपना व्यक्तित्व और कद बड़ा बनाना है.
रवि अजितसरिया,
गुवाहाटी
हमें अपना व्यक्तित्व और कद बड़ा बनाना है.
रवि अजितसरिया,
गुवाहाटी
कैसे होता है व्यक्तित्व विकास-2
हम आगे की ओर बढ़ते हैं-
सुनने, देखने, बोलने, सोचने और याद रखने की शक्ति का हम एक गुलदस्ता बना लेते हैं, और इस गुलदस्ते को जो व्यक्ति साफ, सुन्दर स्वच्छ रख पाता है उसके व्यक्तित्व में निखार स्वतः ही आ जायेगा।
सुनने के बाद किस प्रकार की प्रतिक्रिया की जानी चाहिये।
देखने के बाद अपने आपको किस रूप में प्रदर्शित किया जाना चाहिये।
बोलने के पहले विषय वस्तु की पूरी जानकारी कर लेना।
सोचे वैगर नही बोलना।
और किसी बात को या व्यक्ति को याद रखना।
ये इस प्रकार की क्रिया है जो हमें रोज नये -नये अनुभवों से गुजारती है।
आप आज से ही इस गुलदस्ते को सजाने का प्रयास करें। सफलता जरूर मिलेगी
कैसे होता है व्यक्तित्व विकास-3 जारी......
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कैसे होता है व्यक्तित्व विकास-2
हम आगे की ओर बढ़ते हैं-
सुनने, देखने, बोलने, सोचने और याद रखने की शक्ति का हम एक गुलदस्ता बना लेते हैं, और इस गुलदस्ते को जो व्यक्ति साफ, सुन्दर स्वच्छ रख पाता है उसके व्यक्तित्व में निखार स्वतः ही आ जायेगा।
सुनने के बाद किस प्रकार की प्रतिक्रिया की जानी चाहिये।
देखने के बाद अपने आपको किस रूप में प्रदर्शित किया जाना चाहिये।
बोलने के पहले विषय वस्तु की पूरी जानकारी कर लेना।
सोचे वैगर नही बोलना।
और किसी बात को या व्यक्ति को याद रखना।
ये इस प्रकार की क्रिया है जो हमें रोज नये -नये अनुभवों से गुजारती है।
आप आज से ही इस गुलदस्ते को सजाने का प्रयास करें। सफलता जरूर मिलेगी
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सोमवार, 1 दिसंबर 2008
कैसे होता है व्यक्तित्व विकास-1
आम तौर पर हमारे दिमाग में यह प्रश्न उठता है कि व्यक्तित्व का विकास कैसे किया जा सकता है। इसके लिये किसी पुस्तक या किसी विचारक को पढ़ना या सुनना जरूरी होता है? मेरी सोच इस बात पर क्या सोचती है यह बताने से पहले इस प्रश्न का समाधान हम सब मिलकर खोजते हैं।
हमारे पास कौन-कौन सी उर्जा शक्ति है सर्वप्रथम इसका एक चार्ट बना लेते हैं।
उर्जा शक्ति | हाँ | नहीं |
1.सुनने की शक्ति | हाँ | नहीं |
2.बोलने की शक्ति | हाँ | नहीं |
3.सोचने की शक्ति | हाँ | नहीं |
4.देखने की शक्ति | हाँ | नहीं |
5.खाने की शक्ति | हाँ | नहीं |
6. याद रखने की शक्ति | हाँ | नहीं |
7.अनुभव करने की शक्ति | हाँ | नहीं |
8.स्वाद(Test) प्राप्त करने की शक्ति | हाँ | नहीं |
9.सुगंध खिचने की शक्ति | हाँ | नहीं |
10.चलने की शक्ति | हाँ | नहीं |
11. काम(work) करने की शक्ति | हाँ | नहीं |
12.क्रोध करने की शक्ति | हाँ | नहीं |
13.श्वास लेने की शक्ति | हाँ | नहीं |
14,सृष्टि निर्माण की शक्ति | हाँ | नहीं |
इन शक्तियों में हमें सबसे जरूरी शक्ति क्या है इसको हम क्रमबार करें तो पाते हैं कि सबसे पहले हमें जीने के लिये "श्वास लेने की शक्ति" की जरूरत होगी। इसके बाद किसकी जरूरत होनी चाहिये। कोई भी व्यक्ति मुझे इस क्रम को सही तरह से बैठाने में मेरी मदद कर सकता है पर आपकी राय में क्रम क्या होना चाहिये यहाँ लिखते तो मुझे अच्छा लगता। आप अपना उत्तर निम्न प्रकार से दें सकते हैं उदाहरण के लिये: 13,6,9, 1,3, 14, फिर अपना नाम, शहर का नाम, फोन नम्बर जरूर लिखें .......... क्रम जारी रहेगा।
कैसे होता है व्यक्तित्व विकास-2 जारी......
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- शम्भु चौधरी, कोलकाता. फोन. 0-9831082737
कैसे होता है व्यक्तित्व विकास-1
आम तौर पर हमारे दिमाग में यह प्रश्न उठता है कि व्यक्तित्व का विकास कैसे किया जा सकता है। इसके लिये किसी पुस्तक या किसी विचारक को पढ़ना या सुनना जरूरी होता है? मेरी सोच इस बात पर क्या सोचती है यह बताने से पहले इस प्रश्न का समाधान हम सब मिलकर खोजते हैं।
हमारे पास कौन-कौन सी उर्जा शक्ति है सर्वप्रथम इसका एक चार्ट बना लेते हैं।
उर्जा शक्ति | हाँ | नहीं |
1.सुनने की शक्ति | हाँ | नहीं |
2.बोलने की शक्ति | हाँ | नहीं |
3.सोचने की शक्ति | हाँ | नहीं |
4.देखने की शक्ति | हाँ | नहीं |
5.खाने की शक्ति | हाँ | नहीं |
6. याद रखने की शक्ति | हाँ | नहीं |
7.अनुभव करने की शक्ति | हाँ | नहीं |
8.स्वाद(Test) प्राप्त करने की शक्ति | हाँ | नहीं |
9.सुगंध खिचने की शक्ति | हाँ | नहीं |
10.चलने की शक्ति | हाँ | नहीं |
11. काम(work) करने की शक्ति | हाँ | नहीं |
12.क्रोध करने की शक्ति | हाँ | नहीं |
13.श्वास लेने की शक्ति | हाँ | नहीं |
14,सृष्टि निर्माण की शक्ति | हाँ | नहीं |
इन शक्तियों में हमें सबसे जरूरी शक्ति क्या है इसको हम क्रमबार करें तो पाते हैं कि सबसे पहले हमें जीने के लिये "श्वास लेने की शक्ति" की जरूरत होगी। इसके बाद किसकी जरूरत होनी चाहिये। कोई भी व्यक्ति मुझे इस क्रम को सही तरह से बैठाने में मेरी मदद कर सकता है पर आपकी राय में क्रम क्या होना चाहिये यहाँ लिखते तो मुझे अच्छा लगता। आप अपना उत्तर निम्न प्रकार से दें सकते हैं उदाहरण के लिये: 13,6,9, 1,3, 14, फिर अपना नाम, शहर का नाम, फोन नम्बर जरूर लिखें .......... क्रम जारी रहेगा।
कैसे होता है व्यक्तित्व विकास-2 जारी......
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रविवार, 30 नवंबर 2008
हम क्या करे और क्या ना करे ?
रवि अजितसरिया,
गुवाहाटी
हम क्या करे और क्या ना करे ?
रवि अजितसरिया,
गुवाहाटी
मंच की दिशा और दशा ?
पिछले दिनों मुझे श्री संकरदेव नेत्र्यालय में नेत्र दान पखवारे में भाग लेने का मौका मिला। एक साल में कुल ४३ लोगो ने नेत्र दान किया था. मेरे पास ३६ लोगो की सूचि थी जिसमे से ३० लोग मारवारी थे. अगर यह गुवाहाटी का आंकडा है तो पुरे देश में स्तिथि क्या होगी. मारवारी समाज की जनसँख्या की ठीक ठीक जानकारी हमारे पास नही है। ना ही हमारे पास मरवारियो द्वारा किए गए व्यक्तिगत सामाजिक कार्यो के आकडे है।
मंच की दिशा और दशा ?
पिछले दिनों मुझे श्री संकरदेव नेत्र्यालय में नेत्र दान पखवारे में भाग लेने का मौका मिला। एक साल में कुल ४३ लोगो ने नेत्र दान किया था. मेरे पास ३६ लोगो की सूचि थी जिसमे से ३० लोग मारवारी थे. अगर यह गुवाहाटी का आंकडा है तो पुरे देश में स्तिथि क्या होगी. मारवारी समाज की जनसँख्या की ठीक ठीक जानकारी हमारे पास नही है। ना ही हमारे पास मरवारियो द्वारा किए गए व्यक्तिगत सामाजिक कार्यो के आकडे है।
गुरुवार, 27 नवंबर 2008
प्रस्ताव क्यों-2
दुसरे लेख में हम प्रस्तावों की प्रासंगिकता पर चर्चा कर रहे थे। शाखाओं द्वारा दिए जाने वाले प्रस्तावों पर बात अधूरी रह गयी थी। शाखाएं भी यदि सदस्यों (?) के नाम से अपने प्रस्ताव रा० सभा में भेज दें तो फिर प्रतिनिधि सभा में शाखाओं के प्रस्तावों की कोई जरूरत नहीं रहती।
हाँ एक बात और है कि शाखा को रा० सभा में अपने नाम से प्रस्ताव भेजने का कोई अधिकार नहीं दिया हुवा है, पर शाखा द्वारा मनोनीत सदस्य रा० सभा में प्रस्ताव रख सकते हैं।
साधारण सदस्य:-
यदि धारा १५ (उ ) में लिखे 'सदस्य' शब्द को धारा २६ (e) में लिखे 'सदस्य' शब्द के सामान ही पढ़ा जाए तो यह स्पष्ट हो जाता है कि साधारण सदस्य अपना प्रस्ताव दोनों यानि रा० सभा एवं प्रतिनिधि सभा में भेज सकता है। यानी सदस्यों के प्रस्तावों पर रा० सभा में चर्चा हो सकती है।
दुसरे शब्दों में देखा जाए तो निष्कर्ष यही निकलता है कि अधिवेसन की प्रतिनिधि सभा के वजाय प्रस्ताव सम्बंधित सारे कार्य रा० सभा में पुरे किए जा सकते हैं। लेकिन क्या ऐसा है? जी नहीं।
प्रतिनिधि सभा में पारित किए जाने वाले प्रस्तावों की अपनी अहमियत है। समझने की बात यह है कि रा० सभा में मंच की सामान्य नीतियों के सम्बन्ध में प्रस्ताव गृहीत किए जा सकते हैं, और प्रतिनिधि सभा में extra ordinary प्रस्ताव भी पारित किए जा सकते हैं। मेरे विचार से प्रतिनिधि में सिर्फ़ ऐसे प्रस्तावों पर ही चर्चा होनी चाहिए, जो कि मंच की नीति सम्बंधित हो और जिन प्रस्तावों का सम्बन्ध व्यापक समाज से हो। कुछ लोग यह मानते हैं कि प्रतिनिधि सभा में लोक दिखाऊ प्रस्ताव लिए जाने चाहिए- और मैं उन लोगो से असहमत नहीं हूँ।
राज कुमार शर्मा
प्रस्ताव क्यों-2
दुसरे लेख में हम प्रस्तावों की प्रासंगिकता पर चर्चा कर रहे थे। शाखाओं द्वारा दिए जाने वाले प्रस्तावों पर बात अधूरी रह गयी थी। शाखाएं भी यदि सदस्यों (?) के नाम से अपने प्रस्ताव रा० सभा में भेज दें तो फिर प्रतिनिधि सभा में शाखाओं के प्रस्तावों की कोई जरूरत नहीं रहती।
हाँ एक बात और है कि शाखा को रा० सभा में अपने नाम से प्रस्ताव भेजने का कोई अधिकार नहीं दिया हुवा है, पर शाखा द्वारा मनोनीत सदस्य रा० सभा में प्रस्ताव रख सकते हैं।
साधारण सदस्य:-
यदि धारा १५ (उ ) में लिखे 'सदस्य' शब्द को धारा २६ (e) में लिखे 'सदस्य' शब्द के सामान ही पढ़ा जाए तो यह स्पष्ट हो जाता है कि साधारण सदस्य अपना प्रस्ताव दोनों यानि रा० सभा एवं प्रतिनिधि सभा में भेज सकता है। यानी सदस्यों के प्रस्तावों पर रा० सभा में चर्चा हो सकती है।
दुसरे शब्दों में देखा जाए तो निष्कर्ष यही निकलता है कि अधिवेसन की प्रतिनिधि सभा के वजाय प्रस्ताव सम्बंधित सारे कार्य रा० सभा में पुरे किए जा सकते हैं। लेकिन क्या ऐसा है? जी नहीं।
प्रतिनिधि सभा में पारित किए जाने वाले प्रस्तावों की अपनी अहमियत है। समझने की बात यह है कि रा० सभा में मंच की सामान्य नीतियों के सम्बन्ध में प्रस्ताव गृहीत किए जा सकते हैं, और प्रतिनिधि सभा में extra ordinary प्रस्ताव भी पारित किए जा सकते हैं। मेरे विचार से प्रतिनिधि में सिर्फ़ ऐसे प्रस्तावों पर ही चर्चा होनी चाहिए, जो कि मंच की नीति सम्बंधित हो और जिन प्रस्तावों का सम्बन्ध व्यापक समाज से हो। कुछ लोग यह मानते हैं कि प्रतिनिधि सभा में लोक दिखाऊ प्रस्ताव लिए जाने चाहिए- और मैं उन लोगो से असहमत नहीं हूँ।
राज कुमार शर्मा