क्या हम हर प्रान्त में कुछ नवयुवकों और किशोरों को चिन्हित करें और उनके सर्वांगीन व्यक्तित्व विकास हेतु कुछ कार्यक्रम हाथ में लें? क्या हम कुछ युवाओं को अच्छे वक्ता और अच्छे लेखक बनने की ट्रेनिंग देने की व्यवस्था करें? (यहाँ अच्छे वक्ताओं से मेरा मतलब है-अच्छी तरह से अपनी बातों को सही PLATFORM पर रख पाने की योग्यता और अच्छे लेखकों से मेरा मतलब है- अपनी भावनाओं को सही शब्दों का जामा पहनने की काबिलियत)। भाई बिनोद रिंगानिया ने अपने एक दो लेखों में गुवाहाटी में एक समूह द्वारा आयोजित नियमित विचार गोष्ठियां और उन गोष्ठियों के प्रतिफल स्वरुप उस समूह के सदस्यों को हुए त्वरित लाभ की बात उदारहण स्वरुप उठाई थी। क्या इस तरह के कुछ कार्य किए जा सकतें हैं? इन्टरनेट की सहायता से सदस्यों को सही तरह से लिखने की ट्रेनिंग भी देने की बात भी सोची जा सकती है। कहने का तात्पर्य यह है की इस विषय पर गंभीरता पूर्वक चिन्तन होना चाहिए और विशेषज्ञों की सहायता ले कर इस क्षेत्र में एक योज़ना तैयार की जानी चाहिए।
ओमप्रकाश अगरवाला, गुवाहाटी ९४३५०-२४२५२
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