महाराष्ट्र की घटनाओं की पुनार्वृति अगर हमारे समाज के साथ घटती है तो हमें प्रधानमंत्री तथा राजस्थान के मुख्यमंत्री का मुहँ ताकने के अलावा कुछ नहीं कर सकते क्योंकि हमारी राजनैतिक ताकत शून्य है। आज अगर हम हमारी ऊर्जा का इस्तेमाल राजनीती में करना चाहे तो यह एक जल्दबाजी होगी । इसके लिए हमें एक लम्बी प्रक्रिया से गुजरना होगा । इस क्षेत्र में आने के लिए हमें ऐसे कार्यकर्ताओं की फौज तैयार करनी होगी । हमारा समाज व्यवसायी प्रधानसमाज है। अगर कोई सरकारी कर्मचारी है, तब भी अवसर लेने के बाद वो राजनीती में दिलचस्पी नही लेता । जिसकी बजह से राजनीती का क्षेत्र हमारे लिए पथरीला रास्ता साबित हो रहा है। इसके लिए समुचित चिंतन मनन की आवश्यकता है। लेकिन तब तक क्या करें ? घटनाएँ अवश्यम्भावी है। क्षेत्रीयतावादी ताकतें हावी हो रही है । ऐसे में हमें कला ,संस्कृति ,साहित्य की और मनोनिवेश करना होगा। कला,साहित्य,संसकृति संस्कृति एक ऐसी विधा है जिसके मध्यम से हम स्थानीय बुद्धिजीवी वर्ग का दिल जीत सकते हैं। यही एक ऐसा क्षेत्र है जिसके माध्यम से स्थानीय समाज में घुशपैठ कराने में कामयाबी हासिल कर सकते हैं। राजनीती से महत्वाकांक्षा पैदा होती है स्थानीय लोग इतर लोगों की इसे दखलंदाजी का हौवा खड़ा कर सकते हैं, जो कि हमारे लिए घातक हो सकता है। स्थानीय कला,संस्कृति,साहित्य के क्षेत्र में हम किस तरह अपनी गतिविधियों को अंजाम दे सकें इस पर वैचारिक प्रक्रिया के मध्यम से आगे बढ़ने का प्रवाह बनाये। यही एक मात्र मार्ग है जिससे हम महाराष्ट्र जैसी घटनाओं का मुकाबला कर सकतें हैं।
किशोर काला, गुवाहाटी 98640-63790
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