बुधवार, 26 नवंबर 2008

व्यक्तित्व विकास: सूर्य जब देदीप्यमान होता है

सूर्य जब देदीप्यमान होता है उसी वक्त ही हमें प्रकाश उपलब्ध रहता है और जैसे ही वह लुप्त होने लगता है सर्वत्र पुनः अंधेरा ही छोड़ जाता है। मंच में भी कुछ सूर्य इसी प्रकार अपने साथ प्रकाश लाते हैं उस वक्त हमारी आँखें उस उजाले में चौंधिया जाती है और हमें कुछ भी नहीं सूझता है। कुछ सूर्य रूपी व्यक्तित्व ने मंच को कुछ इसी प्रकार बना दिया है। सूर्य की रोशनी के बाद हमारे पास सर्वत्र अंधेरा ही अंधेरा बचा रहता है। हमें इस अंधेरे को उजाले में बदलना होगा। हर घर में दीप जलाने होंगे हर युवाओं को सूर्य जैसा रोशन करना होगा। एक दीप से कई दीप जलाने की प्रक्रिया को जारी रखना होगा। जब समाज के हर युवाओं में दीप जलने लगेगा तो सूर्य का यह गुमान स्वतः ही समाप्त हो जायेगा। क्या आप दीप जलाने की इस प्रक्रिया का हिस्सा नहीं बनना चाहेंगें। हमें रोज इस बात का इंतजार करने से बेहतर है कि खुद के दीप को प्रज्वलित कर लेना चाहिये साथ ही अपने दीप से दूसरे दीये को भी हम प्रज्वलित कर सकें।


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2 टिप्‍पणियां:

  1. आदरणीय शम्भू जी,
    अंतराल लंबा होते जा रहा है, बिषय अच्छा चुना गया है, जिज्ञासा जग रही है, क्रपया लंबा इंतज़ार न कराएँ.

    अनिल अगरवाला- ९४३५०-८६६०५

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  2. अनिल जी,
    कुछ व्यस्त कार्यक्रमों की व्यस्थता को लेकर लम्बा अंतराल हो जाता है। फिर भी मेरा प्रयास रहेगा कि इस कड़ी को समयानुसार चलाये रखुँ। - शम्भु चौधरी, कोलकाता- मोबाइल फोन नम्बर 0-9831082737

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