कई मित्र राजनीति का मतलब यही समझ लेते हैं कि इसमें चुनाव लड़ना और सत्ता पर दखल करना होता है। ऐसा नहीं करके भी राजनीति हो सकती है। मारवाड़ी समाज के संदर्भ में यह राजनीति अपनी आत्मरक्षा के लिए दबाव ग्रुप बनाने की राजनीति होगी। इसमें विभिन्न सांसदों के साथ विचार विनिमय करना, उनके साथ अच्छे संबंध बनाना शामिल हो सकता है। हरियाणा, राजस्थान के सांसदों, विधायकों के साथ नियमित वैचारिक आदान-प्रदान की प्रक्रिया हो सकती है। कहने का मतलब यह है कि मारवाड़ी समुदाय के सभी लोगों को यह पता होना चाहिए कि उनके लोग किस प्रांत में किस हालात में हैं। क्या वे ठीकठाक हैं या उनके साथ कोई परेशानी है। आज इंटरनेट का इसमें सहारा लिया जा सकता है।
जहां तक समय होने और लंबी प्रक्रिया की बात है, तो इससे पहले की पोस्टिंग में मैंने कहीं निवेदन किया था कि मारवाड़ी युवा मंच से जो युवा जुड़े हैं उन्हीं की ताकत का सही इस्तेमाल इन कामों में हो यह हमें सुनिश्चित करना होगा। लेकिन यह कैसे होगा, क्योंकि जब तक युवा परिपक्व होता है तब तक उसके रिटायर होने का समय हो जाता है। उसके बाद वह मजबूरी में वार्ड कमिश्नर या पंचायत का चुनाव लड़ने लग जाता है। इस तरह समय की बात यहां प्रासंगिक नहीं है। हम बात इस पर कर रहे हैं कि युवा मंच के जो सक्रिय साथी है उनके ओरवएज होने के बाद उनके लिए कोई मंच, संस्था, प्लेटफार्म बनाया जा सकता है या नहीं। क्योंकि जनसेवा को उसके अगले तार्किक परिणाम तक ले जाना है तो परिपक्व लोगों की एक संस्था बनानी ही होगी।
विनोद रिंगानिया
bringania@yahoo.co.in
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