गुरुवार, 23 अक्टूबर 2008

सम्मानार्थ

इस ब्लॉग के मध्यम से मंच के विभिन्न पहलुओं पर जिस तरह की चर्चा हो रही है और जिस तरह के स्तरीय बिचार आ रहे है, उससे एक आशा की किरण दिखायी दे रही है कि, यह ब्लॉग आगे चल कर मंच नेतृत्व को सुझावों और विचारों की सही खुराक दे पायेगा। आप लेखको के सम्म्नार्थ यह चंद पंक्तिया- मधुशाला से;

चित्रकार बन साकी आता
लेकर तुली का प्याला
जिसमें भरकर पान करता
वह बहु रस-रंगी हाला

मन के चित्र जिसे पी पीकर
रंग-बिरंगे हो जाते,

चित्रपटी पर नाच रही है
एक मनोहर मधुशाला।


अजातशत्रु

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