इस ब्लॉग के मध्यम से मंच के विभिन्न पहलुओं पर जिस तरह की चर्चा हो रही है और जिस तरह के स्तरीय बिचार आ रहे है, उससे एक आशा की किरण दिखायी दे रही है कि, यह ब्लॉग आगे चल कर मंच नेतृत्व को सुझावों और विचारों की सही खुराक दे पायेगा। आप लेखको के सम्म्नार्थ यह चंद पंक्तिया- मधुशाला से;
चित्रकार बन साकी आता
लेकर तुली का प्याला
जिसमें भरकर पान करता
वह बहु रस-रंगी हाला
मन के चित्र जिसे पी पीकर
रंग-बिरंगे हो जाते,
चित्रपटी पर नाच रही है
एक मनोहर मधुशाला।
अजातशत्रु
गुरुवार, 23 अक्टूबर 2008
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें