मंगलवार, 21 अक्टूबर 2008
मंच अब एक बड़ा वृक्ष बन गया है l
इसमे कोई शक नही है कि लीडरशिप के प्रोतशाहन के वजह से कोई भी संगठन नए आयाम पर पहुचता है। मारवाड़ी युवा मंच के स्थापना काल से ही युवा मंच के सदस्यो के मन में उन स्थापंकर्ताओ के प्रति आदर सत्कार रहा है, जिन्होंने मंच रूपी वृक्ष को बोया था। आज यही वृक्ष एक विशाल वट वृक्ष बन गया है। अब नए नेत्रत्व को इन अनुभवी लोगो के संपर्क में रह ,उनसे विचार विमर्श करना चाहिए , तभी हम यह कह सकते है कि हम एक बड़े वृक्ष के नीचे रह रहे है। और वृक्ष के नीचे वाले सभी लोग एक साथ मिल कर उस उद्देश्य की पूर्ति के लिए आगे बढ़ते चले जाए। अगर वैचारिक मतभेद है भी तो, उसको एक सशक्त पैरवी के साथ नए रूप में पेश किया जाना चाहिए, जिसके, समर्थन भले ही सभी नही करे पर, विरोध तो कोई नही करेंगा , क्योकि उस वैचारिक आवेग में एक नया जोश सभी को दिखाई देगा, वह पद्शेप शायद मेरे स्थापना लोगो को पसंद आए और वे भी उस यात्रा में शामिल हो जाए। देश भर में फैले हुवे हजारो सदस्यो के पास लोगो के ऐसे परोसने के लिए बहुत कुछ मिल जाए। अभी, जैसा की कोल्कता के शम्भू चौधरी कहा रहे है, कि मंच ने अपने पहले दर्शन में बहुत कुछ कार्य किया है, पर वह अपने अन्य चार सूत्रों पर अधिक कार्य करने में सफल नही हो पाई है। यह एक सही तथ्य है, जिसको हमें मानना होगा। हमारी हालत तो देश के सभी प्रान्तों में नीची जाती के0 0लोगो से भी गयी गुजरी है जोk अपना विरोध तो जताते है, हम तो वह भी नही कर सकते । (यहाँ हमारी का तात्पर्य समाज है) क्या युवा मंच, जो अपने आपको एक प्रतिनिधित्व संस्था कहती है , उसका यह दायित्व नही बन , जो एक कोर ग्रुप की स्थापना करे ,ओर, जो समय समय पर युवा मंच को परामर्श दे। यह ग्रुप मंच को सदस्य नही भी हो सकता। इस बात पर आप विचार करे, और मुझे खुशी होगी अगर कुछ लोग अपनी राय इस और प्रेषित करेंगे।
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