असम के श्री राजकुमार शर्मा जी ने अपने विचार के साथ-साथ कुछ प्रश्न भी खड़े किये हैं:
- क्यों हम मंच से ही जुड़ें? क्यों नहीं अन्य सामाजिक संस्थाओं में शामिल होना चाहिए।
- क्या? मंच गैर सरकारी संगठन या मारवाड़ी समुदाय का मात्र एक युवा शक्ति है।
- क्या कारण है कि हमारे समाज के युवक, युवा मंच में शामिल होने के लिए स्वतः प्रेरित नहीं होते हैं।
- राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव से ठीक पहले उच्चस्तरीय राजनैतिक गतिविधि क्यों शुरू हो जाती है।
- हमारे राष्ट्रीय नेतागण एक कार्यकाल में 30-35 नये युवाओं को सामने लाने पर अपना ध्यान केन्द्रित क्यों नहीं कर पाते।
- कब तक हम 45 वर्ष तक, जबकि अपने कार्यकाल के पूरा होने का समय हो जाता है और उसकी रुचि कम होने लगती है, तब जाकर उसे नेता चुनते रहेंगें।
इन प्रश्नों के उत्तर मेरी समझ से इस प्रकार हैं -
1. मैं कभी यह नहीं कहूँगा कि अन्य सामाजिक संस्थाओं से नहीं जुड़ना चाहिए। हाँ इस सवाल का, कि मंच से क्यों जुड़ना चाहिए - जवाब यह है कि मारवाड़ी समाज को भारतीय सामाजिक-राजनैतिक जीवन में वह स्थाव प्राप्त नहीं है जो होना चाहिए। जैसे - हर कहीं मारवाड़ी को ऐसे अपराधों का अपराधी घोषित कर दिया जाता है, जिसका वह नहीं है। मारवाड़ी समाज ने देश मे जितना रोजगार पैदा किया, उसके लिए उसकी जैसी हौसला आफजाई होनी चाहिए, वह नहीं हुई। मारवाड़ी समाज व्यवसाय के लिए अपने मूल प्रांत से बाहर निकला। उसे नाना तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। जिस तरह अन्य प्रवासी समूहों को करना पड़ता है। ऐसे में उसे एकजुटता चाहिए। ऐसी संस्था चाहिए जो उसके पास खड़ी हो सके। आप सोचिए एक समय ऐसा था जब यह आम धारणा थी कि मारवाड़ी समाज में वधुओं को जलाकर मार दिया जाता है। जबकि मारवाड़ी समाज में ही यह भारतीय व्याधि सबसे कम थी। ऐसी बातों का उत्तर कौन देगा। देश को कौन बताएगा कि मारवाड़ी क्या है और उसमें क्या संभावनाएं छिपी हुई हैं। इसलिए राष्ट्र निर्माण में उसके संपूर्ण योगदान की स्थितियां पैदा करने के लिए मारवाड़ी युवा मंच की नितांत आवश्यकता हैं।
2. उपरोक्त दृष्टिकोण से देखने के बाद मुझे नहीं लगता यह सवाल पूछने की जरूरत बाकी रह जाएगी।
3. स्वतः प्रेरित नहीं होना इसके कार्यक्रमों की कमजोरी हो सकती है। लेकिन आप युवा मंच की संभावनाओं को कम करके मत आंकिए। किसी भी समाज को यदि 0.01 हिस्सा किसी संस्था का सदस्य बन जाए, वह भी युवा, तो आकाश पाताल एक करने की क्षमता वह रखता है। परिमाण में नहीं गुणवत्ता में जाइए। अच्छे युवा आ रहे हैं या नहीं, यह देखना है। यदि नहीं आ रहे हैं तो इसका कारण इसके कार्यक्रमों की कमजोरी, नेतृत्व की कमजोरी ही है, इसमें कोई शक नहीं।
4. 45 साल के आसपास के युवाओं को नेता चुनने में कोई बुराई नहीं है, यदि उस नेता की दिलचस्पी बनी रहे। यदि आप पाते हैं दिलचस्पी कम होती जाती है, तो इसका कारण उसका भविष्य के प्रति चिंतित होना हो सकता है। एक वृद्ध व्यक्ति की तरह वह सोचता होगा कि तीन साल बाद उसे रिटायर ही हो जाना है। इसलिए इस रिटायर वाली बात पर गंभीरता से सोचना जरूरी है।
Regards,
Binod Ringania
Udita Offset, Shahida Market LaneLakhtakia
Guwahati - 781001 (Assam)
India
91-98640-72186 (cell
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