गुरुवार, 23 अक्टूबर 2008

व्यक्तित्व विकास

हाल ही में पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री प्रमोद शाह को कहीं कहते सुना था कि मारवाडी युवा मंच ने ही उन्हें लेखक बनाया है। शम्भू जी एवं रवि जी के विचार पढ़ कर पता नहीं मुझे यह बात क्यों याद आ गयी। पुर्बोत्तर में भी कुछ युवाओं से यह सुनाने में मिलता है कि सामाजिक जीवंन में आज उन्हें जो विशिष्टता हासिल है, उसमे मंच में मिली ट्रेनिंग का काफी हाथ है। यानी कार्य तो हुवे है, जाने से या अनजाने से। उपलब्धियां कम जरूर है पर ऐसा भी नहीं है कि मंच ने व्यक्ति विकाश के क्षेत्र में कुछ हासिल नहीं किया है। यह बात भी सही है कि कम से कम अब तो हमें इस बिषय को वरीयता क्रम में ऊपर लेना ही पड़ेगा।
अजातशत्रु

1 टिप्पणी:

  1. अजातशत्रु जी,
    जी! यही बात तो पहले लेख में लिखा था कि शुरू के दो कार्यकाल में व्यक्ति विकास के क्षेत्र में जो कार्य इस दिशा में हुए थे, उस पंक्ति के कुछ सदस्यों का विकास हुआ, फिर जिनका भी विकास हुआ वे सदस्य ऊँचे पदों पर आसीन होकर, किसी भी एक सदस्य का विकास नहीं कर पाये। यह क्रम 15 साल के बाद पुनः अनिल जाजोदिया जी के कार्यकाल में शुरू हुआ। मुझे ऎसा लगता है कि पुनः 15 साल के बाद नई पौद तैयार हो रही है, पर इस पौद को दिशा देना जरूरी है ताकी वे पूर्व के माफ़िक सिर्फ स्वःविकास की परम्परा का संचार न कर साथ में मंच सदस्यों की कड़ी को बनाये भी रखे। -शम्भु चौधरी

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