सोमवार, 20 अक्टूबर 2008

सकारात्मक सोच को एक रास्ते की जरूरत है l

Monday, October 20, 2008

सकारात्मक सोच को एक रास्ते की जरूरत है l
कभी किसी को मुक्कमल जहाँ नही मिलता , यह बात समाज में भी लागू होती है। हम सोचते कुछ है और होता कुछ और है। समाज में बने रहने के लिए नए नए विचारो का प्रवाह जरूरी है। यह भी सत्य है कि हर किए गए कार्य के सकारात्मक रेजुल्ट्स नही मिलते, पर यह मतलब नही कि हम कार्य करना बंध कर दे , बल्कि हमें दुगनी ताकत के साथ ऐसी कार्य करने चाहिय , जिससे समाज की सकारात्मक उर्जा सही जगह लगे और समाज का कुछ भला हो सके। ज्यादातर मामलो में समाज के लोग सस्ती लोक्प्रियार्ता हासिल करने के लिए कार्य करते है, और ऐसा प्रतीत होने लगता है कि यही सबसे अच्हा कार्य है। पर हकीकत में ऐसा नही होता । नकारत्मक कार्य समाज के युवाओ को गुमराह करते है, उनको एक ऐसे रेस्त्रे पर ले कर जाते है जो किसी भी मंजिल की ओर नही लेके जाते , बलकी उनकी उर्जा का दुरूपयोग होता है। क्या ऐसे कर सकते है की हम युवाओ की उर्जा को एक सकारात्मक रस्ते की और ले कर जाए। आप जरा सोचिये l
रवि अजितसरिया
20102008
Posted by Ravi Ajitsariya at 9:07 AM

हमारी प्रतिबधता किसके लिए है.l
हमारी प्रतिबधता किसके प्रति है? यह सवाल हमारे जहन में बार बार उभर कर आता है। हम उन लोगो की बातो को अनसुनी कर देते है जो हमें तरह तरह की राय देते रहते है। हमारे विचारो को लेकर या फिर हमारे कार्यो को लेकर। हम अपनी प्रतिबधता कोपुनः निर्धारित करने के लिए पर्याप्त समय निकालना चाइए,जिससे हम वह कार्य कर पाने में समर्थ हो सके, जिसके लिए हमने अपने आपको स्थापित किया है। समाज में जिस तरह से कई समस्या व्याप्त है, उनके समाधान के लिए कोन क्या कर रहा है, यह महत्व्यपूर्ण है। जो लोग समाज में एक अग्रणी भूमिका निभाते है, उनकी जिम्मेवारी अन्य लोगो से अधिक है। उनके प्रतिबधता एक समुचित समाज के लिए अधिक है।
Posted by Ravi Ajitsariya at 8:20 AM
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