मंगलवार, 28 अक्टूबर 2008

उम्मीदें जिंदगी की

बिहार प्रांतीय मारवाडी युवा मंच की "उम्मीदें जिंदगी की" (बाढ़ राहत विशेषांक) पढने का सौभाग्य मिला। जन सेवा की नयी मीसाल कायम करने वाले मंच सेनानियों को नमन करते हुवे मैं इसी पत्रिका में प्रकाशित, प्रांतीय अध्यक्ष श्रीमती सरिता बजाज की चंद पंक्तिया अपने पाठकों हेतु उल्लेख करना चाहूँगा-
"इस आपदा की घड़ी में कुछ हाथ बेसहारों का सहारा बनकर उठे थे, ये हाथ हमारे मंच साथी थे। कोसी की लहरों से टकराते युवा मंच के हौसले को सलाम, सलाम सभी युवा साथियों को जिन्होंने जाने - अनजानों के लिए अपनी जान भी दाँव पर लगा कर सेवा भावना की अद्वितीय मिसाल पेश की। एक महीने से अधिक समय तक अपने व्यापार, व्यवसाय, परिवार और अपने आप को भी भुला कर पीडितों की सेवा की, उनके दुःख दर्द दूर करने के लिए अपने आपको न्योछावर कर दिया।
धीरे धीर सारी बातें अतीत में धुंधली हो जायेगी, लेकिन हम कैसे भुला देंगे निर्मली शाखा के सदस्यों को जिन्होंने ११ दिनों से भूखे, मदरसे के ५०० बच्चो समेत हजारों जिंदगियों को अन्न एवं पीने योग्य पानी पहूंचाया। नमन है दिनेश शर्मा, बिनोद मोर, अभिषेक पंसारी और पूरी टीम को। हम कैसे भुला देंगे मनीष चोखानी, त्रिवेणीगंज के साहस को जिसने ९० से अधिक व्यक्तियों को पूरी तरह डूब चुके जदिया गाँव से, पानी के तेज़ धार के बीच से नाव से बचाकर सुरक्षित स्थान तक पहुँचाया। सुभाष वर्मा और नोगछिया शाखा के साथियों को जिन्होंने मधेपुरा के डूबे हुवे गावों में भोजन और राहत सामग्री पहूँचाई। मनीष बुचासिया और सिल्क सिटी शाखा जो पानी के तेज़ धार से लड़ते हुवे लखीपुर और खेरपुर पहुंचते है जिंदगियां बचाने को।"
चाह कर भी इन पंक्तियों के बाद अपनी और से कुछ टिपण्णी नहीं दे पा रहा हूँ। लफ्ज़ नहीं मिल रहें है दिल की बात बयां कैसे करूं। सलाम साथियों आपके जज्बे को।
अजातशत्रु

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