रविवार, 26 अक्टूबर 2008

व्यक्तित्व विकास के कार्यक्रम और नई पीढी के लोगो का जुड़ाव

व्यक्तित्व विकास के कार्यक्रमों को आयोजित करने के पीछे एक मकशद यह भी था कि मच में हमेशा नए खून का संचार होता रहे। यह कार्य होता भी रहा। शाखा स्तर पर यह होता भी रहा है । इसका उदहारण हमें हर शाखा में मिल जाएगा। व्यक्ति विकास एक सतत पक्रिया है, और किसी भी संस्था के लिए जरूरी है, अगर संस्था में यह कार्य रुक जाता है, तब मान लीजये कि, कही कुछ गड़बड़ है। या तो संस्था के पदाधिकारियो ने सुविधावाद को कस के पकड़ लिया है, या फिर संस्था ने अपने उद्देश्यों में आमूल चुल परिवर्तन कर लिए है। खुशी का विषय है कि, युवा मंच में अभी यह स्थिति नहीं आयी है। अभी भी यहाँ के युवाओं में ख़ुद को विकसित करने का जज्बा मौजूद है। मेरा मानना है कि अगर नेतृत्व ख़ुद कोई व्यक्ति विकास के कार्यक्रम नहीं करता तो, सदस्यों को अपनी तरफ़ से कुछ कार्यक्रम बना कर पेश करने चाहीये ताकी नेतृत्व के पास कोई आप्शन ही नहीं बचे उस प्रोग्राम को लागू करने के अलावा। खेद का विषय यह है कि, हमारे सदस्य आम सभाओं में कोई कार्यक्रम ही नही रखते, बल्कि यह उम्मीद रखते है कि, नेतृत्व ख़ुद कोई कार्यक्रम बना कर लावे और सदस्य उस पर घंटो बहस करे, और वेह भी छोटे-मोटे इस्सुज पर, जिनके कोई सर पैर नही होते, मगर कभी-कभी नेतृत्व भी ऐसे कार्यक्रमों को करवाने के लिए अड़ जाता हैं जिन पर आम सहमती नहीं मिल पाती, पर नेतृत्व उस कार्यक्रम को करने का मन बना कर सदस्यों में अपनी साख कायम नहीं रख पाता और यहीं से शुरुवात होती है अहम् की लडाई, मनमुटाव, और नीचा दिखाने की फितरत। जो की लॉन्ग रन में किसी भी संस्था के लिए महंगा पड़ता है। मंच में हमेशा से ही मजोरिटी की ही राय मानी गयी है , जिसका नतीजा हमारी सामने है, कि हम एक पच्चीस साल पुरानी संस्था बन कर आज भी इसके कार्यक्रमों के बारे में चर्चा कर रहे है। तब से अब तक सैकड़ों युवाओं ने संस्था के व्यक्तित्व विकास के कार्यक्रमों को देख कर उससे प्रेरित हुवे होंगे। जारी ....
सभी को धनतेरस की बधाई।
रवि अजितसरिया ,
५४ए हेम बरुआ रोड,
फैंसी बाज़ार, गुवाहाटी ७८१ ००१
फोन ०३६१ २५४९७३५ ,
26102008

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