- 1. श्री प्रमोद सराफ :
" किसी भी संगठन के नेतृत्ववृंद एवं कार्यकर्ताओं का संतुलित व परिष्कृत व्यक्तित्व ही प्रभावोत्पादक होता है। प्रभाव को शक्ति का पर्याय कहा जाता है। अतः हर व्यक्ति व विशेषतः मंच से जुड़े व्यक्तियों में अगाध विश्वास प्रकट कर व्यक्ति विकास को एक सतत् प्रक्रिया मानता है युवा मंच दर्शन। यही सतत् प्रक्रिया संगठन को हर दिन नई शक्ति प्रदान करेगी एवं इसी शक्ति के बलबुते पर युवा मंच लक्ष्य है।"
- 2. श्री पवन सीकरिया:
हमारा चॅहुमुखी विकास तभी संभव है जब हम अपने जीवन की एकांगिता को नष्ट कर उसमें सर्वागीणता उत्पन्न करें। इस संबंध में मैं स्वर्गीय भंवरमल सिंघी के ये शब्द उद्धृत करना चाहुँगा - "जब हम यह सीखेंगे कि व्यापार की जगह व्यापार, साहित्य की जगह साहित्य और कला की जगह कला, तभी अपने जीवन को सफल और सुस्थिर बना सकेगें। मनुष्य का जीवन भी उसके शरीर की तरह विभिन्न अंगों में बंटा हुआ है। एक अंग दूसरे अंग का कार्य नहीं कर सकता, इसलिए जीवन के सभी अंगों के विकास की हमें जरूरत है।" आईये आने वाले समय में हम समाज के युवा वर्ग की सर्वागीणता की छवि को प्रस्तुत करें।
3. श्री प्रमोद शाह:
शारीरिक, बौद्धिक, मानसिक, भावनात्मक व आर्थिक इत्यादि सभी तरह के संतुलित विकास से ही संतुलित व्यक्तित्व बनता है। किसी भी एक का विकास अच्छी बात है, मगर उससे मनुष्य एकांगी हो जाता है। अतः आवश्यकता अनुसार सभी अंगों क विकास होना चाहिये अन्यथा जीवन में विसंगति पैदा हो जायेगी।
व्यक्ति विकास पर मंच के माध्यम से जो काम होना चाहिये था, वह आज तक नहीं देखा गया। कुछ शाखाओँ ने अपने स्तर पर जरूर प्रयास किया है। राष्ट्रीय स्तर पर दिल्ली शाखा का प्रयास इस क्रम में सराहनीय माना जाना चाहिये। मंच प्रायः हर अधिवेशनों के अवसर पर, इस बात की चर्चा करती पाई जाती है, पर पहली बार रायपुर मैं हुए अधिवेशन में व्यक्ति विकास पर एक सत्र अलग से रखा गया था। मंच के युवा साथियों में उत्साह है, उमंग है, कुछ कर गुजरने का जज़्बा भी है। मैंने कई प्रन्तों के युवकों को देखा है। रोज नई प्रतिभाएं सामने आ रही है, पुराने साथियों का अनुभव हमारे साथ हैं। श्री प्रमोद सराफ, श्री प्रमोद शाह जैसे परिपक्व / बुद्धिजीवी व्यक्तित्व का सानिध्य मंच को प्राप्त रहते हुए भी हम इस सूत्र पर राष्ट्रीय कार्यक्रम नहीं ला पायें है, इस पर हमें न सिर्फ विचार करना चाहिये, हमारी योजना कुछ इस प्रकार की बननी चाहिये कि आने वाले अधिवेशन में कोई ठोस प्रस्ताव हम पारित करा सकें। व्यक्ति विकास , मंच आन्दोलन का यह सूत्र मंच का एक अहम हिस्सा है। आने वाले समय में नवयुवकों की आवश्यकता भी इस सूत्र से अधिक रहेगी, मंच के इस सूत्र को सक्रिय करते ही हमें मंच के अन्दर कई नई उर्जाओँ से मुलाकात होगी, जिसकी हमने आज तक कल्पना ही नहीं की है। हमारे समाज के अन्दर हजारों ऐसे-ऐसे युवक भरे हुऐ हैं जो नेतृ्त्व का नया स्वरूप बन कर सामने आ सकते हैं। कटु अनुभवों के साथ-साथ उन तपे-तपाये युवकों के अनुभवों से हमें मंच हित की बातें लेते रहना चाहिये। जरूरत है नेतृत्व वर्ग को हमेशा नये सदस्यों से नया कुछ सीखते रहने की। जबतक नेतृत्ववर्ग, मंच के नवयुवकों से सीखते रहने का प्रयास करते रहेगें, उनकी प्रतिभा को सम्मान देते रहेगें, मंच में व्यक्तित्व विकास चलता रहेगा। आगे भी जारी ....
शम्भु चौधरी,
एफ.डी.-453/2,साल्ट लेक सिटी,
कोलकाता- 700106
Mobile: 0-9831082737
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