- क्यों हम मंच से ही जुड़ें? क्यों नहीं अन्य सामाजिक संस्थाओं में शामिल होना चाहिए।
- क्या? मंच गैर सरकारी संगठन या मारवाड़ी समुदाय का मात्र एक युवा शक्ति है।
- क्या कारण है कि हमारे समाज के युवक, युवा मंच में शामिल होने के लिए स्वतः प्रेरित नहीं होते हैं।
- राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव से ठीक पहले उच्चस्तरीय राजनैतिक गतिविधि क्यों शुरू हो जाती है।
- हमारे राष्ट्रीय नेतागण एक कार्यकाल में 30-35 नये युवाओं को सामने लाने पर अपना ध्यान केन्द्रित क्यों नहीं कर पाते।
- कब तक हम 45 वर्ष तक, जबकि अपने कार्यकाल के पूरा होने का समय हो जाता है और उसकी रुचि कम होने लगती है, तब जाकर उसे नेता चुनते रहेंगें।
मुजफ्फरपुर से श्री सुमित चमड़िया जी ने भी इस परिचर्चा में अपना योगदान देते हुए कुछ लिखा कि:
- नयी युवा पीढी का जुड़ाव मंच से कैसे हो?
- पुराने लोग जो मंच से जुड़े हैं उन्हें सही सम्मान प्राप्त हो।
- पीढी अंतराल को कैसे भरा जाये, इस लम्बे कालखंड में संस्थापक, पोषक और नविन नेतृत्व के बीच कैसे सामंजस्य बैठाया जाये।
- आज की परिस्थितियों के अनुसार जो मूल्यों में बदलाव आये हैं, क्या हम उस अनुसार चल पा रहे हैं?
- नेतृत्व विकास / व्यक्ति विकास की दिशा में हम कितना बढ़ पाए हैं?
ये सभी प्रश्न हमें सही दिशा प्रदान करने में तभी सक्षम हो सकते हैं जब हम इन प्रश्नों का हल / उत्तर / समाधान मिलकर खोजने का प्रयास करेगें। इन प्रश्नों का उत्तर देना बहुत आसान हो सकता है, पर यह सोचना होगा कि आज 12-13 साल से जो युवक मंच से जुड़ा हुआ है वो इस तरह कि बात आज क्यों करने लगा। आखिर में क्या कमी थी हमारे नेतृत्व में जो इतने बड़े अन्तराल के मध्य ये सभी प्रश्न पहले सामने नहीं आये?मेरा मंच ब्लॉग पर इस परिचर्चा को चलाने का उद्देश्य इस सुविधा का प्रयोग कर हम राजकुमार जी या सुमित जी जैसे कुछ नवयुवकों को सामने लाने का प्रयास करेंगें।
सुमित चमड़िया जी ने अपने विचार कुछ इस प्रकार रखने का प्रयास किया:
प्रश्न: सदस्यों और समाज का जुड़ाव मंच से कैसे हो?
पुराने सदस्य जुड़े रहें और नए जुड़ने को लालायीत हों...
श्री राजकुमार शर्मा जी ने भी इसी प्रकार का प्रश्न उठाया है...,
उत्तर:
मैंने इस पर काफी विचार किया तो ये पाया है की व्यक्ति कुछ देने नहीं बल्कि कुछ पाने की आस में संगठन से जुड़ता है, उनमें से कुछ कारण निम्नांकित हो सकते हैं;
१. नाम, यश / कीर्ति की आशा
२. व्यापारिक लाभ की आशा
३. अपने व्यक्तिगत जीवन में उत्थान की आशा
४. एक नए विशाल जनसमूह में पहचान बनाने की आशा
५. व्यक्तित्व विकास की आशा
६. सुरक्षा की आशा
७. राजनैतिक महत्त्वाकांक्षा
८. सामाजिक कार्यों में रूचि के अनुसार मंच मिलने की आशा
९. धन लाभ की आशा
इसके अलावा भी कुछ कारण हो सकते हैं, पर हैं सभी कुछ पाने की चाह के तहत ही.. क्योंकि मेरा अनुभव रहा है की गुप्तदान भी अपने कुछ खास लोगों को मालूम हो इस तरीके से दिया जाता है।
नेतृत्व को बस ये देखना चाहिये की किस व्यक्ति की कौन सी चाह महत्वपूर्ण है और उसे कैसे और किस स्तर तक पूरा किया जा सकता है। तभी उसका सम्पूर्ण लाभ मंच एवं समाज को मिलेगा। -सुमित चमड़िया ... जारी...
एक प्रश्न आप सभी से करता हूँ - "आप 'व्यक्ति विकास' पर कौन-कौन से कार्यक्रम लाना चाहेगें, यदि आप नेतृत्व कर रहे होते तो। "
आगे भी जारी.....
शम्भु चौधरी,
एफ.डी.-453/2,साल्ट लेक सिटी,
कोलकाता- 700106
Mobile: 0-9831082737
नोट: सदस्यों से मेरा पुनः अनुरोध रहेगा कि वे अपना नाम, पद, फोन नम्बर, और शाखा का नाम देना न भूलें।
- सदस्यों और समाज का जुड़ाव मंच से कैसे हो?
जवाब देंहटाएंपुराने सदस्य जुड़े रहे और नए जुड़ने को लालायीत हों...
श्री राजकुमार शर्मा जी ने भी इसी प्रकार का प्रश्न उठाया है...,
मैंने इस पर काफी विचार किया तो ये पाया है की व्यक्ति कुछ देने नहीं बल्कि कुछ पाने की आस में संगठन से जुड़ता है, उनमे से कुछ कारण निम्नांकित हो सकते हैं;
१. नाम, यश / कीर्ति की आशा
२. व्यापारिक लाभ की आशा
३. अपने व्यक्तिगत जीवन में उत्थान की आशा
४. एक नए विशाल जनसमूह में पहचान बनाने की आशा
५. व्यक्तित्व विकाश की आशा
६. सुरक्षा की आशा
७. राजनैतिक महत्त्वाकांक्षा
८. सामाजिक कार्यों में रूचि के अनुसार मंच मिलने की आशा
९. धन लाभ की आशा
इसके अलावा भी कुछ कारण हो सकते हैं, पर हैं सभी कुछ पाने की चाह के तहत ही.. क्योंकि मेरा अनुभव रहा है की गुप्त दान भी अपने कुछ खास लोगों को मालूम हो इस तरीके से दिया जाता है.
नेतृत्व को बस ये देखना है की किस व्यक्ति की कौन सी चाह महत्वपूर्ण है और उसे कैसे और किस स्तर तक पूरा किया जा सकता है. तभी उसका सम्पूर्ण लाभ मंच एवं समाज को मिलेगा.
आगे जारी.....
सुमित चमडिया
मुजफ्फरपुर
बिहार
मोबाइल - 9431238161