भाई बिनोद जी,नमस्कार!
आपके माध्यम से सभी मंच प्रेमियों को मेरा नमस्कार। आपके इस ब्लॉग को देखकर मंच की सारी बातें याद आने लगी। मंच का पहला अधिवेशन गुवहाटी में होना था, कोलकाता से हम लोग चार-पॉँच जन थे, जिसमें स्व। भंवरमल सिंघी आज नहीं रहे। जो सपना प्रथम पंक्तियों में खड़े सेनानिओं ने देखा था, आज मंच उससे भी कहीं ज्यादा संगठित हो चुका हैं, पर साथ ही कई साथीयों के मन में काफी पीड़ा भी है। आपने इस मंच की शुरूआत कर सारे ज़ख्मों को हरा कर दिया। मेरी शुभकामनायें आपके साथ है।
आपका ही
शम्भु चौधरी, कोलकाता
शुक्रवार, 17 अक्टूबर 2008
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