बुधवार, 22 अक्टूबर 2008

व्यक्तित्व विकास किसे कहते है?

मारवाड़ी युवा मंच की जब सदस्यता ली थी,सन् १९८५ मे , राष्ट्रीय अधिवेशन के दौरान, तब मंच एक मात्र अकेला संगठन था, जो व्यक्तित्व विकास के कार्यक्रम चलता था। शायद मैं भी इसे सूत्र से प्रभावित हो कर ही मंच से जुडा था। मंच के कई ऐसे कार्यक्रम मुझे याद है ,जिसके वदोलत समाज में एक नव जागृति का सूत्रपात हुवा था। मैं उस जाग्रति का चश्मदीद गवाह हूँ। मारवाड़ी युवा मंच अपने आप में एक व्यक्तित्व विकास संस्था है। आज जो हम इस ब्लॉग पर लिख रहें हैं, इसका थोड़ा बहुत श्रेय युवा मंच को ही जाता है। तभी हम आज युवा मंच के बारे में स्वस्थ चिंतन कर पा रहे हैं। क्या यह एक व्यक्ति विकास की कड़ी नहीं? हमारे साथ अन्य भाई लाभान्वित हो, क्या यह बात हमारे दिमाग में नहीं आती। क्या हम कार्यशालाओं में सदस्यों को नहीं समझाते कि क्या उनके लिए ठीक रहेगा और क्या नहीं। कैसे वेह मंच के लीडर बन सकते हैं। व्यक्ति विकास को मंच ने एक समय तक प्राथमिकता दी थी, पर बाद में सुविधावाद मंच पर हावी होती गई और मंच अब एक सेवा संस्थान बन गया है। अब सेवा के जरिए ही व्यक्ति विकास करने का दावा किया जा रहा है। पूर्वोत्तर में प्रांतीय स्तर पर पिछेले तीन वर्षो में कोई बड़ी कार्यशाला नहीं हुई है, पर मण्डलिये स्तर पर पिछले कई महीनों में कार्यशालायें हो चुकी है, जिनके किस तरह के परिणाम निकले थे, इसके मुझे ज्ञान नहीं है। पर आज भी हम व्यक्तित्व विकास के कार्यक्रमों की ओर खींचे चले जाते है। मन बहुत परेशां करता है कि मंच में सिर्फ़ व्यक्तित्व विकास के कार्यक्रम ही आयोजित हो, ताकि हम मंच के अन्दर ही एक नए मंच [platform] की स्थपाना कर सके जिसका प्रभाव समाज पर पड़ेगा, और मंच का सही उद्देश्य "युवाओं का सर्वांगिण विकास" को हम प्राप्त कर पायेगें, नहीं तो युवाओं की उर्जा जनसेवा में झोकी जाती रहेगी, जो न सिर्फ समाज के लिए मंच के संगठन के लिये भी घातक है। खासकर के जब हम अहिन्दी क्षेत्रों में रहते हैं, जहाँ प्रवासियों को एहतियात बरतनी पड़ती है। जनसेवा से हम अपना वजूद बचा सकते हैं और इतर समाज के समक्ष उदाहरण पेश करती है परन्तु व्यक्तित्व विकास हमें हमारी उर्जा को एक उर्जाशक्ति में बदलने के गुर सिखाता है और एक बेहतर जिंदगी जीने के रस्ते खोल देता है। वह रास्ते जहाँ हम अपनी अस्मिता को संजो सके। व्यक्तित्व विकास के लिए शायद जीवनपर्यन्त लगा रहें, यह होना चाहिये युवाओं का जज़्बा, उनकी भूख। Ravi Ajitsariya,Guwahati.

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें