मंच का अगला अधिवेशन दिसम्बर-2008 रांची में होना तय है। इस अधिवेशन की थीम "कारवां -2008 : प्रगति, दिशा और लक्ष्य" रखी गई है। हमें युवकों को इस दिशा में तैयार भी करना होगा कि आखिर इस थीम के पीछे मंच के साथियों का उद्देश्य क्या होता है। यह थीम सिर्फ नारा नहीं इसके पीछे शक्तिशाली विचारधारा का प्रवाह है। मेरे लेख का उद्देश्य न कभी नकारात्मक रहा है और न कभी होगा। हाँ ! यदि कोई यह सोच ले कि अमुक बात किसी व्यक्तिविशेष को ठेस पहुँचा सकती है। तो अलग बात है। न तो मेरे लेखे कभी भी पूर्वाग्रह से ग्रसित रहें हैं और न ही मेरी इस तरह की सोच रही है। लेख में लिखी बात पूर्णतः विचारों का मंथन है। यदि कोई अपनी बात को रखना चाहता हो तो उसका स्वागत है। मंच दर्शन के बाद यहाँ पिछले सभी अधिवेशन के थीम पर अपनी बात रखने का प्रयास करूँगा और इस थीम पर भी चर्चा करूँगा। आपसे मेरे इतना ही निवेदन है कि जब आप लेख को पढ़ते हों तो, पढ़ने के पश्चात, भले ही एक शब्द ही क्यों न हो जरूर लिखें, साथ में अपना नाम/ब्रांच/पद देना न भूलें ।
मंच स्थापना के 23 साल [ भाग- मंच दर्शन -2 ]:
मंच का तीसरा और सबसे महत्वपूर्ण सूत्र है 'मंच शक्ति - व्यक्ति विकास' मंच में व्यक्ति विकास का क्या अर्थ है, इसका सटीक उत्तर खोजने में ' आज भी हम असमर्थ हैं। भले ही यह सोच गलत हो सकती है, परन्तु हम इस सूत्र का अर्थ जो निकाल सकते हैं-
"जो क्षमता मुझ में नहीं हो, उसका विकास मंच में अन्य साथियों से सीखकर करना, साथ ही अन्य योग्य युवकों या समाज की प्रतिभाओं को मंच प्रदान कर उसके विकास में मंच का योगदान सुनिश्चित करना।" परन्तु संस्थापक अध्यक्ष श्री प्रमोद सराफ और मंच के प्राणसूत्र श्री अरूण बजाज और वर्तमान अध्यक्ष श्री अनील जाजोदिया जी के कार्यकाल को छोड़ दें तो बचे नेतृ्त्व काल में इस सूत्र पर कोई ठोस कार्य हुआ हो मुझे दिखाई नहीं देता। इस शुरू के दो कार्यकाल और वर्तमान कार्यकाल के बीच 15 साल के कार्यकाल ने इस सूत्र में इतने घून लगा दिये थे कि वे इसे अब स्वीकार करने को भी तैयार ही नहीं। जिन लोगों ने इस सूत्र का सूत्रपात किया, उनकी राय क्या है? यह बात तो वे ही लोग बता पायेंगे। पर इस कड़ी में राष्ट्रीय स्तर पर तीन-चार व्यक्तियों का नाम लिया जा सकता है जिसमें कोलकाता के श्री महेश साह, श्री गोपाल कलवानी, दिल्ली के श्री बुध सिंह सेठिया - श्री श्याम सुन्दर सोनी और वर्तमान राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अनील जाजोदिया। इसके अलावा मुझे मंच का कोई सदस्य नहीं दिखाई दिया जिसने इस महत्वपूर्ण सूत्र पर किसी भी प्रकार का कार्य किया हो, जिससे मंच के सदस्यों में नई उर्जा का संचार हो सकता। मंच को इन बीच के 15 साल के कार्यकाल की अन्य उपलब्धियां रही है, जिसका उल्लेख इस लेख के बीच आयेगा। यदि इस लेख के किसी भाग में किसी को आपत्ति दर्ज करानी हो तो वे अपनी बात रख सकते हैं। जिसे इस लेख के हिस्से से जोड़ दिया जायेगा। आगे भी जारी ....
शम्भु चौधरी,
एफ.डी.-453/2,साल्ट लेक सिटी,
कोलकाता- 700106
Mobile: 0-9831082737
भाई शम्भूजी, व्यक्ति विकास के छेत्र में पूर्वोत्तर में बहुत कार्य हुवा है, शायद आपको पता नही. पूर्वोत्तर के कुछ युवाओ ने अपने प्रयासों का पुरा बखान नही किया है.
जवाब देंहटाएंरवि जी,
जवाब देंहटाएंआपके विचार से मैं सहमत हूँ। असम हमेशा से मंच की कर्मभूमि रही है और आज भी इस बात को आपलोगों ने इस ब्लॉग को चालू कर दिखा दिया कि मंच को नेतृत्व देने की क्षमता आप जैसे कर्मठ युवा साथियों में बरकरार है। आप मुझे जानकारी दें कि व्यक्ति विकास का कौन सा कार्य हुआ है और किस स्तर पर हुआ है। शाखा स्तर से ऊपर उठकर बताने का प्रयास करेंगें। कारण की शाखा स्तर की बात करने से इस कड़ी को एक लेख से पूरा कभी नहीं किया जा सकेगा।
राजकुमार जी,
आपके पत्र को पढ़ा हूँ। भाई ओमप्रकाश जी, पवन सिकारिया, अनिल जैना, प्रमोद साह और भाई बलराम जी के कार्यों का जिक्र भी आयेगा। यदि व्यक्तित्व विकास के संदर्भ में कोई बात छुट गई हो तो जरूर बतायें, सिर्फ इनका ही नहीं, किसी भी सदस्य ने या शाखा ने प्रन्तीय स्तर से कोई कार्य किया हो, या किसी प्रन्तीय अध्यक्ष के कार्यकाल में कोई कार्य हुआ हो तो जरूर लिखें।
मैंने पहले ह भी इस बात को लिखा है कि कहीं कोई बात छुटती नजर आती हो उसे इस लेख के साथ जोड़ने में मुझे कहीं इतराज नहीं होगा। हाँ ! बात जो भी वह विषय के अन्दर ही रहनी चाहिये।
शम्भु चौधरी, कोलकाता